जासूसी के आरोप में जेल में बंद यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की डिफॉल्ट बेल पर सुनवाई आज
Hisar court: पाकिस्तान के लिए भारत के खिलाफ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार युट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की डिफॉल्ट बेल याचिका पर आज फैसला आने वाला है। सोमवार को हुई सुनवाई में हिसार पुलिस ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए जमानत का विरोध किया था।
हिसार पुलिस ने अदालत को बताया कि ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ पहले से ही दो अन्य मामले दर्ज हैं। इसी आधार पर पुलिस ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी को बेल पर रिहा करना जांच और न्यायिक प्रक्रिया के लिए ठीक नहीं होगा।
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अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ज्योति मल्होत्रा को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। इससे पहले, यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने हिसार की अदालत में 2,500 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की थी। ज्योति पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है। चार्जशीट में दावा किया गया है कि उसके खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं।
पुलिस ने 16 मई को जासूसी के शक में ज्योति को गिरफ्तार किया था। पुलिस की मानें तो वह लंबे समय से पाकिस्तानी एजेंटों को गोपनीय जानकारी दे रही थी और उनके साथ लगातार संपर्क में थी।
पुलिस का कहना है कि शुरुआत में एक सामान्य यूट्यूबर की तरह ज्योति ने व्लॉग और वीडियो बनाए। लेकिन, पाकिस्तान यात्रा के दौरान खुफिया एजेंटों से वह मिली। ज्योति के फोन की जांच में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी एहसान-उर-रहीम दानिश अली के साथ उनकी बातचीत के सबूत मिले। चार्जशीट में उनके आईएसआई एजेंटों शाकिर, हसन अली और नासिर ढिल्लन से भी संबंधों का जिक्र है।
पुलिस के अनुसार, ज्योति ने 2023 में दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग का दौरा किया था, जहां उसकी मुलाकात दानिश से हुई। उस पर भारत की संवेदनशील जानकारी साझा करने और पाकिस्तान को सोशल मीडिया पर सकारात्मक दिखाने का आरोप है। दानिश को भारत सरकार ने 13 मई को अवांछित व्यक्ति घोषित कर देश से निकाल दिया था। जांच में पता चला कि ज्योति का एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के साथ नजदीकी रिश्ता था और वह उसके साथ इंडोनेशिया के बाली भी गई थीं।
डिफ़ॉल्ट बेल जमानत, या वैधानिक जमानत (Default Bail), एक ऐसा अधिकार है जो किसी व्यक्ति को तब मिलता है जब पुलिस या जांच एजेंसी निर्धारित समय सीमा (जैसे 60 या 90 दिन) के भीतर जांच पूरी करके आरोप पत्र (Charge Sheet) दाखिल करने में विफल रहती है। इस स्थिति में, आरोपी को कानूनन जमानत पर रिहा कर दिया जाता है, जिससे वह अपने ‘डिफ़ॉल्ट’ या ‘वैधानिक’ अधिकार का प्रयोग करता है।