
कल्पना पटवारी (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Folk Singer Kalpana Patowary Birthday Special: असम के बरपेटा जिले की मिट्टी में जन्मी कल्पना पटवारी का नाम आज भोजपुरी संगीत की पहचान बन चुका है। सिर्फ इतना ही नहीं, छठ पूजा के गानों से घर-घर में मशहूर हो चुकी हैं। इसी बीच आज यानी 27 अक्टूबर 1978 को जन्मी अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर चलिए उनके बारे में जानते हैं…
दरअसल, कल्पना के पिता बिपिन नाथ पटवारी खुद लोकगायक थे और महज चार साल की उम्र में कल्पना पहली बार उनके साथ मंच पर उतरीं। तब से संगीत उनके जीवन की धड़कन बन गया। उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और लखनऊ से शास्त्रीय संगीत में विशारद की डिग्री प्राप्त की। हालांकि उनकी आत्मा हमेशा लोक संगीत में ही रमी रही। कल्पना ने खड़ी बिरहा, कजरी, सोहर, नौटंकी जैसी परंपरागत शैलियों को अपने अनोखे अंदाज में आधुनिक रूप दिया और इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया।
भोजपुरी सिनेमा में प्लेबैक सिंगिंग करने वाली कल्पना पटवारी पहली ऐसी गायिका मानी जाती हैं, जिन्होंने पारंपरिक लोकधुनों को आधुनिक संगीत के साथ जोड़ा। वे भिखारी ठाकुर को अपना गुरु मानती हैं और उनके गीतों में पूर्वी भारत की सांस्कृतिक झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में गाया है, जिनमें असमिया, बंगाली, हिंदी और मराठी प्रमुख हैं।
संगीत के साथ-साथ कल्पना ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी कदम रखा। 2018 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और 2020 में असम गण परिषद से जुड़ीं। लेकिन उनकी असली पहचान उस लोकधारा से है, जिसे वे आज भी सहेज रही हैं।
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कल्पना के करियर की एक सच्ची घटना उनके जीवन की सबसे प्रेरक कहानी है। बिहार के एक कस्बे में स्टेज शो खत्म करने के बाद जब वे रात में ट्रेन से लौट रही थीं, तभी कुछ डकैत ट्रेन में सवार हुए। माहौल में डर था, पर जैसे ही उन्हें पता चला कि डिब्बे में ‘भोजपुरी क्वीन’ कल्पना पटवारी मौजूद हैं, उन्होंने अपने हथियार नीचे रख दिए।
डाकुओं ने उनसे सम्मानपूर्वक कहा, “मैडम, एक गाना सुना दीजिए।” जब कल्पना ने झिझकते हुए मना किया, तो उनके सरदार ने मुस्कुराकर कहा- “गाना गाइए, हम आपके लिए ट्रेन रोक देंगे।”






