जॉन अब्राहम की फिल्म तहरान का रिव्यू
कहानी: फिल्म की शुरुआत में एक छोटा सा नोट आता है जो कहता है ‘ये सच्ची घटना पर आधारित है’ अपनी देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों के लिए प्रसिद्ध जॉन अब्राहम एक बार फिर अपने उसी अंदाज में दर्शकों के बीच लौट आए हैं। ‘तहरान’ कहानी है इरान, इजराइल और भारत के बीच चल रहे तनाव और इसमें होने वाली अंतरराष्ट्रिय राजनीति की। फिल्म में दिखाया गया है कि किस प्रकार समय-समय पर इरान भारत और इजराइल पर हमले करता आ रहा है और ऐसे में भारत से एक जांबाज अफसर एसीपी राजीव कुमार तहरान में एक ऐसे मिशन पर निकल पड़ता है जहां वो चुन-चुनकर भारत के दुश्मनों का खत्म करता है तथा देश की हिफाजत करता है। इस दरम्यान उसे कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है बावजूद जिसके वो जान की बाजी लगाकर देश के लिए समर्पित रहता है।
अभिनय: एक्शन बेस्ड फिल्में जॉन अब्राहम की यूएसपी रही है और वे इस फिल्म में भी अपना जलवा बिखेरने में कोई कमी नहीं छोटे। वे एक अफसर की भूमिका में बेहद जच रहे हैं। उनके एक्सप्रेशन्स और बॉडी लैंग्वेज भी प्रशंसनीय हैं। फिल्म में जॉन की पत्नी की भूमिका में नजर आ रही मधुरिमा तुली भी अपने किरदार में पूरी तरह से ढली हुई नजर आ रही हैं। इसी के साथ फिल्म में सीनियर इंस्पेक्टर दिव्या राणा के किरदार में मानुषी छिल्लर हमें इम्प्रेस करती हुई नजर आती हैं। उनका काम वाकई काबिल-ए-तारीफ है।
फाइनल टेक: ‘तेहरान’ सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है, बल्कि यह उन वास्तविक घटनाओं पर आधारित है जिन्हें हमने अपने जीवन में देखा और महसूस किया है, संसद हमले से लेकर ईरान-इजराइल संघर्ष तक। फिल्म एक ऐसे जासूस की कहानी है जो विदेशी जमीन पर फंसा हुआ है और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बता दें कि जॉन ने ‘फोर्स’, ‘सत्यमेव जयते’ और ‘वेदाः’ जैसी फिल्मों से एक्शन हीरो की जो पहचान बनाई है, ‘तेहरान’ उस पहचान को और मजबूत करता है। इस फिल्म में उनका किरदार गंभीर, तीखा और पूरी तरह से समर्पित नजर आता है। वर्तमान में जिस तरह से ‘टाइगर’ यानी सलमान खान और ‘वॉर’ यानी ऋतिक रोशन ने जासूस बनकर दर्शकों को रोमांचित किया था, ‘तेहरान’ उसी तरह का एक नया अनुभव लेकर आया है।
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‘तेहरान’ यशराज फिल्म्स की स्पाई यूनिवर्स का हिस्सा नहीं है, लेकिन जॉन अब्राहम की यह कोशिश अपने आप में काबिल-ए-सलाम है। दिनेश विजन की मैडॉक फिल्म्स और बेक माय केक फिल्म्स ने एक बार फिर अपने प्रोडक्शन से ये साबित कर दिया है कि वह सिर्फ हॉरर-कॉमेडी (‘स्त्री’) या हिस्टोरिकल ड्रामा (‘छावा’) तक सीमित नहीं हैं। ‘तेहरान’ के जरिए वे एक नया जोनर एक्सप्लोर कर रहे हैं और उसमें सफल भी हो रहे हैं। कुल मिलाकर ये फिल्म एक हाई-ऑक्टेन, इमोशनल और थॉट-प्रोवोकिंग फिल्म है, जो आपको अंत तक बांधे रखती है। एक्शन और कहानी दोनों ही अपने उच्चतम स्तर पर हैं। ओटीटी पर एक दमदार अनुभव की तलाश कर रहे दर्शकों के लिए यह फिल्म बिल्कुल परफेक्ट है।