
'सिंगल सलमा' को नहीं मिली पर्याप्त स्क्रीन, हुमा कुरैशी का छलका दर्द; सिनेमाघरों में समान अवसर की उठाई मांग
Huma Qureshi Angry: बॉलीवुड अभिनेत्री और निर्माता हुमा कुरैशी अपनी हालिया रिलीज फिल्म ‘सिंगल सलमा’ को देश भर में सीमित स्क्रीन मिलने से काफी निराश हैं। फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी चुनौती को उजागर करते हुए, हुमा ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की और समान अवसर की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों वाली अच्छी फिल्मों को भी दर्शकों तक पहुंचने का मौका मिलना चाहिए।
भारतीय फिल्म उद्योग में हर हफ्ते कई फिल्में रिलीज़ होती हैं। बड़े बजट और बड़े सितारों वाली फिल्मों के बीच, छोटी और कहानी-प्रधान फिल्मों को थिएटर में पर्याप्त जगह मिलना हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है। इन फिल्मों को अक्सर सीमित स्क्रीन और ऑड-टाइमिंग शो दिए जाते हैं, जिसके कारण अच्छी कहानी होने के बावजूद वे दर्शकों तक नहीं पहुँच पातीं।
अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने इसी असमानता पर आवाज उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “‘सिंगल सलमा’ जैसी फिल्मों में न तो बड़े स्टार होते हैं, न ही करोड़ों रुपए का मार्केटिंग बजट। ऐसी स्थिति में इन फिल्मों को थिएटरों में अपनी जगह बनाना और दर्शकों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि आज भी सिस्टम केवल उन फिल्मों को प्राथमिकता देता है जो पहले से ही सुरक्षित मानी जाती हैं, यानी बड़ी बजट और स्टार वाली फिल्में। उन्होंने इंडस्ट्री से एक संतुलित व्यवस्था की मांग करते हुए कहा, “इंडस्ट्री को एक संतुलित व्यवस्था की जरूरत है, जहां हर फिल्म, चाहे छोटी हो या बड़ी, उसे समान अवसर मिले।”
ये भी पढ़ें- शशि थरूर ने शाहरुख को बताया ‘बेंजामिन बटन’ का किरदार, 60 की उम्र में करते हैं इतनी मेहनत
हुमा की इस भावुक पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। देश के कई शहरों, जैसे लखनऊ, पटना, दिल्ली और कोलकाता के फैंस ने उनकी बात का पुरजोर समर्थन किया। लोगों ने थिएटर मालिकों से अपील की कि ‘सिंगल सलमा‘ के शो बढ़ाए जाएं ताकि ज्यादा दर्शक इसे देख सकें। कई दर्शकों ने तो टिकट बुकिंग ऐप्स के स्क्रीनशॉट भी साझा किए, जिनमें दिख रहा था कि फिल्म के शो या तो हाउसफुल हैं या उपलब्ध ही नहीं हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दर्शक फिल्म देखना चाहते हैं, लेकिन स्क्रीन की कमी आड़े आ रही है।
हुमा के बयान ने फिल्म इंडस्ट्री के भीतर वितरण (Distribution) प्रक्रिया में सुधार की अहम चर्चा को जन्म दिया है। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि बड़ी फिल्मों को हमेशा पर्याप्त जगह मिल जाती है, लेकिन कंटेंट-ड्रिवन छोटी फिल्मों के लिए स्क्रीन मिलना किसी चुनौती से कम नहीं होता। इंडस्ट्री में कई लोग मानते हैं कि वितरण प्रक्रिया में संतुलित और न्यायपूर्ण सिस्टम की सख्त जरूरत है। अगर वितरण प्रक्रिया में सुधार होता है, तो इससे न सिर्फ नए कलाकारों और निर्देशकों को फायदा मिलेगा, बल्कि दर्शकों को भी अलग-अलग और बेहतर कहानियां देखने को मिलेंगी।






