
गंजापन बना वरदान: IFFI में Anupam Kher ने खोला राज, कैसे गुस्से और श्राप के बाद मिली थी पहली बड़ी फिल्म
Anupam Kher Mahesh Bhatt: जाने-माने फिल्म एक्टर अनुपम खेर ने गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में अपनी ‘मास्टरक्लास’ में अपने जीवन और करियर से जुड़े कई अनसुने किस्से साझा किए। उनकी फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ के अलावा तीन और फिल्मों की स्क्रीनिंग IFFI में हुई, जिसके दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि किस तरह महेश भट्ट ने पहले उन्हें फिल्म ‘सारांश’ से निकाल दिया था, लेकिन उनके गुस्से और ‘ब्राह्मण के श्राप’ के डर से उन्हें वह रोल वापस मिल गया, जिसने उनका करियर हमेशा के लिए बदल दिया।
अनुपम खेर ने अपने फैंस से बात करते हुए बताया कि जब वह 1981 में फिल्म इंस्टीट्यूट से पढ़कर मुंबई आए थे, तो लोग उन्हें गंजेपन के कारण हतोत्साहित करते थे। लोग कहते थे कि ‘तुम्हारे सिर पर बाल नहीं हैं, इसलिए तुम ऐक्टर नहीं बन पाओगे, चाहे डायरेक्टर बन जाओ।’ लेकिन किस्मत से, उन्हें गंजे होने की वजह से ही ‘सारांश’ मिली। महेश भट्ट ने उन्हें बूढ़े व्यक्ति बीबी प्रधान का रोल इसलिए दिया, क्योंकि उनके सिर पर बाल नहीं थे। अनुपम खेर ने भरी जवानी में इस चुनौतीपूर्ण रोल को करने का जोखिम लिया।
‘सारांश’ में अपने रोल के लिए अनुपम खेर ने छह महीने तक बूढ़े व्यक्ति के हाव-भाव समझने की ट्रेनिंग ली। वह बस्तियों में जाकर बूढ़े लोगों से मिलते थे, लेकिन छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद एक दिन महेश भट्ट ने उन्हें बताया कि अब यह रोल संजीव कुमार करेंगे। यह सुनकर अनुपम खेर बेहद गुस्सा हुए और सीधे भट्ट साहब के ऑफिस पहुँचे।
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गुस्से में भरे अनुपम खेर ने महेश भट्ट से कहा कि वह शहर छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि संजीव कुमार यह रोल उनसे बेहतर नहीं करेंगे। आखिर में, अत्यधिक क्रोध में आकर अनुपम खेर ने भट्ट साहब से कहा, “मैं ब्राह्मण हूँ और आपको श्राप देता हूँ।” यह बोलकर वह नीचे आ गए, लेकिन फिर महेश भट्ट ने उन्हें खिड़की से आवाज लगाई और वापस बुलाकर वह रोल दे दिया। इस घटना के बाद अनुपम खेर ने उस रोल के लिए अपनी जान लगा दी, और बाकी सब इतिहास है।
‘सारांश’ की बंपर सफलता के बाद अनुपम खेर रातों-रात स्टार बन गए। उन्होंने बताया कि पहले हफ्ते में उन्होंने 57 फिल्में साइन की थीं। उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म ‘जवानी’ साइन की, जिसके लिए उन्हें 10,000 का साइनिंग अमाउंट मिला था। उस दौर में यह बहुत बड़ी रकम थी। अपनी खुशी बांटने के लिए उन्होंने अपने भाई राजू खेर को पब्लिक फोन से कॉल किया और अपनी कामयाबी की खबर दी। अनुपम खेर ने यह भी बताया कि मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने फ्रस्ट्रेशन से बचने के लिए देसी शराब पीने और संघर्ष का रोना रोने वाले लोगों से खुद को अलग कर लिया था।






