आमिर खान-जूही चावला की फिल्म हम हैं राही प्यार (फोटो-सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड में कुछ फिल्में सिर्फ हिट नहीं होतीं, बल्कि इतिहास बन जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है ‘हम हैं राही प्यार के’, जो 1993 में रिलीज हुई थी और आज भी लोगों के दिलों में उसी ताजगी के साथ जिंदा है। आमिर खान और जूही चावला की यह फैमिली-रोमांटिक फिल्म 32 साल बाद भी उतनी ही प्यारी लगती है, जितनी अपनी रिलीज के समय थी।
फिल्म का निर्देशन किया था महेश भट्ट ने और इसमें आमिर खान ने एक जिम्मेदार भाई ‘राहुल मल्होत्रा’ का किरदार निभाया था, जो अपनी बहन की मौत के बाद उसके तीन बच्चों की परवरिश करता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है चुलबुली और दिल से सच्ची ‘व्यजयंती’ (जूही चावला) से। दोनों के बीच पनपता रिश्ता, बच्चों की मासूमियत, और जिंदगी की सादगी यही फिल्म की खूबसूरती है।
इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि यह एक साफ-सुथरी, दिल को छूने वाली फैमिली एंटरटेनर है। बेबी अशरफा, कुणाल खेमू और शारोख भरूचा जैसे बच्चों की शरारतें और परफॉर्मेंस आज भी दर्शकों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देती हैं। ‘हम हैं राही प्यार के’ की दूसरी सबसे बड़ी ताकत है इसका म्यूजिक। नदीम-श्रवण की संगीत जोड़ी और समीर के बोलों ने फिल्म को यादगार बना दिया। फिल्म के गाने वो मेरी नींद, घूंघट की आड़ से और काश कोई लड़का जैसे आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में बने हुए हैं। कुमार सानू, अल्का याग्निक और उदित नारायण की आवाज़ों ने इन्हें अमर बना दिया।
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फिल्म को कई अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया, जिनमें बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्ट्रेस और बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर शामिल थे। लेकिन असली अवॉर्ड तो दर्शकों का वो प्यार है, जो फिल्म को अब भी मिल रहा है। 32 साल बाद भी जब ये फिल्म टीवी पर आती है या OTT पर देखी जाती है, तो हर उम्र के दर्शकों को अपनेपन का एहसास देती है। आमिर और जूही की केमिस्ट्री, मासूम बच्चों की शरारतें और सरल कहानी इसे एक सच्चा टाइमलेस क्लासिक बना देती हैं।