सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नागपुर: विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल गरमा गया है। कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह भी सिर उठा चुकी है। कांग्रेस और महाविकास आघाड़ी में कई लोगों ने बगावत कर दी है। खास तौर पर कांग्रेस में बगावत की बड़ी घटना देखने को मिल रही है। कांग्रेस में बागियों ने पार्टी के उम्मीदवारों बल्कि विधायकों और मंत्रियों का भी करिअर खत्म कर दिया है। कुछ को विधानमंडल में प्रवेश करने से भी रोक दिया है।
2019 में दक्षिण नागपुर में कांग्रेस के बागी सतीश होले को 4,631 वोट मिले थे। इस चुनाव में कांग्रेस के गिरीश पांडव 4,013 वोटों से हार गए थे। 2009 में निर्दलीय के तौर पर 16,000 वोट हासिल करने वाले मोहन मते ने 2019 में जीत हासिल कर ली थी। विद्रोही सतीश होले ने पांडवों का गणित बिगाड़ दिया था। 2014 में मोदी लहर के कारण बीजेपी के सभी उम्मीदवार जीत गये थे।
यह भी पढ़ें:- महाराष्ट्र चुनाव: रामदास आठवले को बड़ा झटका, पार्टी के दिग्गज नेता ने दिया इस्तीफा, बोले- महायुति के खिलाफ करेंगे प्रचार
2009 में मध्य नागपुर में कांग्रेस के बागी गनी खान ने बीएसपी से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें 24,034 वोट मिले। कांग्रेस प्रत्याशी रामचन्द्र देवघरे 10,791 वोटों से हार गये थे। इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार विकास कुंभारे को 56,312 वोट मिले और वे पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2009 में पश्चिम नागपुर में कांग्रेस उम्मीदवार अनीस अहमद महज 1979 वोटों से हार गए थे। बीजेपी के सुधाकर देशमुख विजयी रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के बागी नीतीश ग्वालवंशी ने 12,633 वोट पाकर अनीस अहमद के करिअर पर ग्रहण लगा दिया।
2014 में भी कांग्रेस के अंदर विद्रोह ने भी उत्तर नागपुर में नितिन राउत की हार में योगदान दिया। किशोर गजभिये ने बगावत कर बसपा से नामांकन भरा और उन्हें 55,187 वोट मिले। इस चुनाव में नितिन राऊत तीसरे स्थान पर रह गए थे। राऊत को 50,042 वोट मिले थे। भाजपा के मिलिंद माने 68,905 वोटों के साथ पहली बार विधायक बने।
सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी 2009 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल एनसीपी के रमेश बंग हिंगना में कांग्रेस के बागियों से महज 700 वोटों से हार गए थे। यहां 2 निर्दलीयों ने 10,000 वोट लिये थे। बीजेपी के विजय घोडमारे को 65,039 वोट मिले थे। इसी चुनाव में रामटेक में कांग्रेस के सुबोध मोहिते 3,361 वोटों से हार गए थे। इस चुनाव में 2 निर्दलीय उम्मीदवारों मोहन महाजन और जीवन मुंगले को 4,700 से अधिक वोट मिले।
कांग्रेस नेता गेव अवारी 1980 और 1985 में पश्चिम नागपुर से चुने गए। 1985 में उन्होंने नितिन गडकरी को हराया था लेकिन 1990 में कांग्रेस के बागी दिलीप चौधरी ने उन्हें हैट्रिक बनाने से रोक दिया। यहां से बीजेपी ने दक्षिण पश्चिम में वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार प्रफुल्ल गुड़धे पाटिल के पिता विनोद गुड़धे पाटिल को मैदान में उतारा। वे निर्वाचित हुए थे। उन्होंने गेव आवारी को 8,643 वोटों से हराया। इस चुनाव में चौधरी को 7,372 और मुकुंद पन्नासे को 3,158 वोट मिले थे।
यह भी पढ़ें:- महाराष्ट्र चुनाव: कई बागियों ने डाले शस्त्र, गड़चिरोली में देवराव हटे तो अहेरी में अंबरीशराव डटे