कोपरगांव विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
अहिल्यानगर: महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव चल रहा है। सारी सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा चुके है और हर सीट पर उम्मीदवार अपनी जीत का दावा कर रहा है। महाराष्ट्र की विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर लंबे समय से उम्मीदवार जीते चले आ रहे हैं। उन्होंने जीत के लिए न सिर्फ अपनी पार्टी बदली बल्कि अपनी जीत कायम रखने के लिए हर तरह के हथकंडे भी अपनाए।
कोपरगांव महाराष्ट्र के 288 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह सीट शिरडी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यह सीट 1978 में अस्तित्व में आयी। 1995 तक यहां कांग्रेस का एकछत्र राज रहा। लेकिन 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस ने कांग्रेस के विजयरथ को रोक दिया। तब से कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई है।
कोपरगांव विधानसभा सीट पर शुरुआत में कांग्रेस का राज रहा। 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने यहां से जीत दर्ज की। वहीं 2004 में अशोकराव काले ने जीतकर शिवसेना का खाता खोला। 2009 में भी शिवसेना की टिकट पर अशोकराव काले ने जीत दर्ज की। लेकिन 2014 में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया और दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी।
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2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना में सीधी टक्कर हुई। स्नेहलता कोल्हे ने शिवसेना के आशुतोष काले को हराकर बीजेपी की झोली में पहली जीत डाल दी। लेकिन 2019 में समीकरण बदले आशुतोष काले छोड़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। बीजेपी की स्नेहलता और एनसीपी के आशुतोष में कांटे का मुकाबला हुआ और स्नेहलता को 822 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
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2024 के विधानसभा चुनाव में कोपरगांव में एनसीपी के दोनों गुटों में मुकाबला होने जा रहा है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी ने मौजूद विधायक आशुतोष काले को टिकट दिया है। तो वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने संदीप वर्पे, को चुनावी मैदान में उतारा है।
पिछली बार मात्र 822 वोटों से जीतने वाले आशुताेष काले की राह इस बार आसान नहीं होने वाली है। क्योंकि इस बार उनके सामने शरद पवार की पार्टी के संदीप वर्पे होंगे। एनसीपी में टूट के बाद अजित पवार के साथ-साथ आशुतोष काले के लिए यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होने वाला है।