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पुणे: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 29 अब्टूबर नामांकन की अंतिम तिथि है। सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना भी शुरू कर दिया है। नामांकन के लिए अंतिम दो दिन बचे है। ऐसे में ज्यादतर सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। कुछ सीटों को लेकर सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में अब भी खींचतान जारी है।
इस चुनावी माहौल में हम भी आप तक हर विधानसभा सीट की पूरी जानकारी लेकर पहुंच रहे है। हर सीट का विश्लेषण लेकर आ रहे है। विश्लेषण की इस कड़ी में आज बारी है। पुणे जिले की कस्बा पेठ विधानसभा सीट की। इस सीट पर पिछले कुछ सालों से भाजपा का एकछत्र राज था पर 2023 में हुए उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में आ गई।
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कस्बा पेठ विधानसभा सीट पर कांग्रेस शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा था। 1978 में यहां की जनता ने जनता पार्टी को जनादेश दिया। इसके बाद 1991 तक यहां एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी के उम्मीदवार को विजयश्री मिलती रही। लेकिन 1995 के बाद यहां इस सीट पर बीजेपी के गिरीश बापट ने एकछत्र राज किया। 2019 में बीजेपी की मुक्ता तिलक ने यहां से जीत दर्ज की। मुक्ता तिलक के निधन के बाद 2023 में उपचुनाव में कांग्रेस यहां पर धमाकेदार वापसी की।
पार्टी | उम्मीदवार | कुल वोट | वोट प्रतिशत |
---|---|---|---|
कांग्रेस | रविंद्र धंगेकर | 73,309 | 52.98% |
बीजेपी | हेमंत नारायण रासने | 62,394 | 45.09% |
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कस्बा पेठ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पुणे जिले में स्थित है और पुणे संसदीय क्षेत्र का एक हिस्सा है। इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता है। 1995 से बीजेपी ने इसे अपने अभेद किले के रूप में स्थापित किया। लेकिन 2023 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी करते हुए बीजेपी के 27 साल के एकछत्र राज को खत्म किया।
कस्बा पेठ विधानसभा सीट पूरी तरह से ओबीसी और सामान्य मतदाताओं के दबदबे वाली सीट मानी जाती है। 2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 2 लाख 90 हजार 724 वोटर्स है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 27 हजार 864 है, जो कि कुल वोट का 9.63 फीसदी है। इसके अलावा 42 हजार 823 यानी कुल वोट का 14.8 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स भी हैं।
2023 में बीजेपी के किले को भेदने वाले रविंद्र धंगेकर को कांग्रेस में एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। तो उपचुनाव में 10915 वोट से पीछे रहने वाले हेमंत रासने पर बीजेपी ने भरोसा जताया है। इस बार 2023 में हुए उपचुनाव को कांग्रेस दोहराने की कोशिश करेगी। वहीं अपने अभेद किले में लगी सेंध के बाद बीजेपी फिर से किले को मजबूत करने के लिए उतरेगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा।