चंपाई सोरेन (डिजाइन फोटो)
रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव के चलते सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस बार झारखंड का चुनाव पिछली बार से कहीं ज्यादा दिलचस्प नज़र आ रहा है। उससे ज्यादा दिलचस्प सरायकेला की लड़ाई हो चुकी है। यहां जेएमएम के पूर्व कद्दावर नेता और कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई सोरेन भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि जेएमएम ने कोल्हान टाइगर को उसी की मांद में कैद करने के लिए राजनीतिक जाल बिछा दिया है।
झारखंड की सरायकेला सीट पर एक तरह से दो बागी चुनावी मैदान में हैं। एक तरफ सूबे के पूर्र मुखिया और जेएमएम से बगावत कर भाजपा ज्वाइन करने वाले चंपाई सोरेन मैदान में हैं तो उन्हें चुनौती देने के लिए बीजेपी के बागी नेता गणेश महाली को जेएमएम ने मोर्चे पर भेजा है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा के मुताबिक गणेश महाली चंपाई के मुकाबले कमजोर माने जा रहे हैं। लेकिन सियासी पंडितों का मत है कि यह जेएमएम की रणनीति का हिस्सा है। कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने जानबूझकर गणेश महाली को चुनावी मैदान उतारा है। गणेश महाली की इस सीट पर ठीक-ठाक पकड़ है। वह भले ही अब तक चंपाई से हारते आए हैं लेकिन मुकाबला कभी भी एकतरफा नहीं हुआ है।
माना जा रहा है कि जेएमएम का वोटबैंक जेएमएम को छोड़कर नहीं जाएगा। इसके साथ ही गणेश महाली अगर बीजेपी का कुछ प्रतिशत वोट खींच पाने में कामयाब रहे तो यहां कहानी बदल सकती है। क्योंकि पिछले चुनाव में चंपाई सोरेन ने गणेश महाली पर 15 हजार के आस-पास वोटों से ही जीत दर्ज की थी। वहीं, 2014 में यह अंतर महज 1000 वोटों के करीब था। इस लिहाज से देखा जाए तो यहां इस बार समीकरण बदल सकते हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि गणेश महाली को इस सीट पर बीजेपी वोटर्स से सिंपैथी भी मिल सकती है। क्योंकि गणेश महाली लगातार चंपाई से शिकस्त खाते रहे हैं। लेकिन इस बार चंपाई बीजेपी में गए तो पार्टी ने गणेश महाली को किनारे कर दिया। यही वजह है गणेश को बीजेपी वोटर्स साइलेंटली सपोर्ट कर सकते हैं।
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ये वो वजहे हैं जिसके चलते यह चर्चाएं चल रही हैं कि जेएमएम ने कोल्हान टाइगर को उसकी मांद में कैद करने के लिए जाल बिछा दिया है। फिलहाल राज्य में 13 नवंबर और 20 नवंबर को चुनाव हैं। जबकि नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। हकीकत तो तभी पता चलेगी कि जेएमएम का दांव कामयाब होता है या फिर कोल्हान टाइगर एक बार फिर से दहाड़ेगा।