नरेन्द्र मोदी, देवेंद्र फडणवीस व अमित शाह (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया। लगभग 36 दिनों तक चलनेवाली राज्य की सत्ता की यह लड़ाई महाभारत के युद्ध की तरह ही बेहद घमासान होनेवाली है। ऐसा बीते चार-पांच वर्षों में राज्य में घटित हुए सियासी घटनाक्रमोें से साफ हो चुका है। दिलचस्प बात यह है कि महाभारत की लड़ाई की तरह मिनी हिंदुस्तान कहे जानेवाले महाराष्ट्र की सत्ता की लड़ाई के प्रमुख सियासी दल दो मुख्य धड़ों (गठबंधनों) बंट चुके हैं। एक है सत्तारूढ़ महायुति तो दूसरा है विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी।
कहने को तो सत्तारूढ महायुति अपने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी लेकिन हकीकत यही है कि महायुति के प्रमुख घटक दल और ज्यादातर नेताओं को सर्वाधिक भरोसा राज्य में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर ही है। अर्थात असल में फडणवीस महायुति की चुनावी रणनीति के मुख्य संचालक एवं केंद्र बिंदु रहेंगे।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुति को मिली शर्मनाक हार के बाद एक तरफ जहां विपक्षी गठबंधन मविआ में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर कांग्रेस को यह विश्वास हो गया है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होगा और मुख्यमंत्री पद उसके हिस्से में आएगा। मविआ का दावा है कि उसे 170 से 180 सीटें मिलेंगी। ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने फडणवीस को उनकी काबिलियत सिद्ध करने तथा दांव पर लगी पार्टी और उनकी (फडणवीस) अपनी प्रतिष्ठा बचाने का बड़ा मौका दिया है।
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फडणवीस भी लोकसभा चुनाव के निराशाजनक प्रदर्शन के घाव पर विधानसभा में जीत का मरहम लगाने को बेताब नजर आ रहे हैं। फडणवीस ने इसके संकेत महाराष्ट्र चुनाव की घोषणा के बाद दे दिए हैं। उनके प्रयासों से महाराष्ट्र बीजेपी की टीम भी लोकसभा में मिली हार की हताशा को पीछे छोड़ चुकी है।
अब तक ये साफ हो चुका है कि लोकसभा चुनाव में 400 पार के नारे के कारण बीजेपी को पूरे देश में नुकसान उठाना पड़ा। विपक्ष द्वारा बीजेपी पर लगाए गए आरक्षण खत्म करने और संविधान परिवर्तन के आरोपों का ही असर महाराष्ट्र में भी देखने को मिला। राज्य में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी लेकिन इससे पहले उपमुख्यमंत्री देवेंद्र अपनी सियासी क्षमता का कई बार मनवा चुके हैं।
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फिर चाहे राज्यसभा चुनाव हो या विधान परिषद चुनाव, पर्याप्त विधायकों नहीं होने के बाद भी बीजेपी के उम्मीदवार को जिताने का चमत्कार देवेंद्र दिखा चुके हैं। 2019 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़नेवाले उद्धव ठाकरे, जब अनपेक्षित रूप से कांग्रेस के पाले में चले गए तो न सिर्फ उद्धव की शिवसेना बल्कि की महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार की पार्टी को भी तोड़ने और राज्य में फिर से बीजेपी नीत महायुति की सरकार बनाने का करिश्मा देवेंद्र ने दिखाया था। यही वजह है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को अभी भी फडणवीस पर पूरा भरोसा है। उसी भरोसे के दम पर बीजेपी राज्य में महायुति की सत्ता की वापसी का दम भर रही है।
महाराष्ट्र के सियासी महासंग्राम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौरों और सभाओं के जरिए बूस्टर डोज देने का काम करेंगे। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसी रणनीति बनाई है कि शाह उम्मीदवारों के चयन से साथ-साथ चुनाव प्रचार की रणनीति में भी फडणवीस का मार्गदर्शन करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राज्य के विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में चुनावी जनसभाओं एवं रैलियों में शामिल होंगे।
बीजेपी और महायुति के चुनाव अभियान में पीएम मोदी और उनके विशेष सहयोगी अमित शाह की उपस्थिति बूस्टर डोज का काम करेंगी। इससे कार्यकर्ताओं को उत्साह, तो वहीं वोटरों को विश्वास मिलेगा।