भारत की राजधानी दिल्ली में चुनावी रण तैयार हो चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान होंगे जिसके नतीजे 8 फरवरी को आएंगे।
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर क्यों है सभी राजनीतिक दलों की नजरें
भारत की राजधानी दिल्ली में चुनावी रण तैयार हो चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान होंगे जिसके नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। सभी 70 विधानसभा सीटों में से नई दिल्ली सीट पर सबसे ज्यादा प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए हैं।
नई दिल्ली विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा कांग्रेस और बीजेपी के हाई प्रोफाइल उम्मीदवार उतारें है। जिसकी वजह से इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
अरविंद केजरीवाल के अलावा कांग्रेस ने इस सीट पर शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने पश्चिमी दिल्ली से सांसद रहे साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा का मैदान में उतारा है। इस सीट से कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी पर्चा भरा है।
दिल्ली के विधानसभा वाले केंद्र शासित राज्य बनने के बाद 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट नहीं थी। यह पहले गोल मार्केट विधानसभा सीट के तहत आती थी। वहीं साल 2008 में परिसीमन के बाद नई दिल्ली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई।
दिल्ली की राजनीति में इस विधानसभा सीट का संयोग बहुत ही दिलचस्प रहा है। क्योंकि जिस पार्टी का उम्मीदवार गोल मार्केट सीट और नई दिल्ली विधानसभा सीट से जीता है राजधानी में उसी की सरकार बनी है। इस वजह से भी लोगों की नजरें इस विधानसभा सीट पर है।
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अधिकांश सरकारी कॉलोनियां हैं जिसकी वजह से इस सीट के वोटरों को पढ़ा-लिखा माना जाता है। इस सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने साल 2013 में कांग्रेस की शीला दीक्षित को हराया था।
इस बार जिस तरह से कांग्रेस और बीजेपी ने इस सीट से अपने उम्मीदवार उतारे हैं जिसे देखकर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार अरविंद केजरीवाल को चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर देखने को मिलने वाली है। चुनाव से पहले एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है जिसका नतीजा जल्द ही आएगा।