प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने तीन पुलिस उपायुक्तों (DCP) और पांच थाना प्रभारियों (SHO) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर कोर्ट ने पूछा है कि आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अमित सहरावत ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आने वाले सभी थानों के अधिकारियों को 14 अक्टूबर 2024 को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि ‘‘प्रोसेस सर्वर” प्रत्येक समन की तामील की तारीख का उल्लेख करें।
बता दें कि ‘प्रोसेस सर्वर’ वह कर्मी होता है जो कानूनी कार्यवाही में शामिल व्यक्तियों तक समन सहित अदालती दस्तावेज पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि सही व्यक्ति को दस्तावेज प्राप्त हों तथा उसे उसके कानूनी कर्तव्यों की जानकारी हो। अदालत 14 जनवरी को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) मामले की सुनवाई कर रही थी और अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ जिरह के दौरान उसे पता चला कि पीड़ित अनुपस्थित है।
न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) के वकील ने कहा कि उन्होंने पीड़ित से टेलीफोन के जरिए संपर्क किया और उसने वकील को बताया कि वह आज पेश नहीं हो सकता, क्योंकि समन उसे कल ही प्राप्त हुआ है, वह भी देर रात करीब 10.45 बजे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पाया कि रिपोर्ट में पीड़ित को समन भेजने की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर कल देर रात को ही पीड़ित को समन दिया गया था, तो यह ‘प्रोसेस सर्वर’ की ओर से गंभीर लापरवाही है।
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अमिथ सहरावत ने कहा कि इसमें एसएचओ और डीसीपी की ओर से भी लापरवाही की गई है कि क्योंकि वे वी-बी शाखा के पर्यवेक्षण अधिकारी होते हैं, जिसके द्वारा समन भेजी जाती है। प्रशांत विहार, जहांगीर पुरी, महेंद्र पार्क, केएनके मार्ग और नरेला थानों के एसएचओ के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम, रोहिणी और बाहरी उत्तरी जिलों के डीसीपी को निर्देश दिया गया कि वे “जवाब दाखिल करें कि 14 अक्टूबर, 2024 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। मामले की अगली सुनवाई चार मार्च को होगी।