दिल्ली-NCR में GRAP-1 लागू, फोटो- सोशल मीडिया
Delhi NCR Pollution: दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर 200 के पार (211) होने और खराब श्रेणी में पहुंचने के कारण, सीएक्यूएम की बैठक में GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) का पहला चरण लागू करने का फैसला लिया गया है। इसके लागू होने के बाद निर्माण स्थलों पर सख्ती और कई तरह के ईंधन के इस्तेमाल पर पाबंदी लग गई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी में बने रहने की वजह से जीआरएपी का स्टेज 1 लागू कर दिया गया है। यह फैसला सीएक्यूएम (CAQM) की बैठक में लिया गया। CAQM के अनुसार, 14 अक्टूबर को दिल्ली का प्रदूषण स्तर 211 दर्ज किया गया था, जो खराब श्रेणी में आता है। आईएमडी (IMD) के अनुसार, मंगलवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 201 दर्ज किया गया था। अनुमान है कि आने वाले दिनों में भी प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी में बना रहेगा।
ग्रैप 1 लागू होने के बाद, यातायात और प्रदूषण नियंत्रण के तहत सबसे बड़ी पाबंदी वाहनों पर लगाई गई है। दिल्ली-एनसीआर में अब 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से पुराने डीजल वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। ऐसे वाहन जो अत्यधिक प्रदूषण फैलाते हैं, उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उन्हें जब्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यातायात नियंत्रण के लिए प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है और चालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लाल बत्ती होने पर इंजन बंद कर दें।
जीआरएपी-1 के तहत कई तरह के ईंधन के इस्तेमाल और खुले में कचरा जलाने पर रोक लगा दी गई है। कचरा, पत्तों और अन्य अपशिष्ट सामग्री का खुला जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। फूड स्टॉल और कमर्शियल रसोई घरों के संबंध में भी नियम सख्त किए गए हैं। सड़क किनारे लगने वाले फूड स्टॉल और व्यावसायिक रसोई घरों में कोयला या लकड़ी के ईंधन का प्रयोग वर्जित रहेगा। होटल, रेस्टोरेंट और खुले खाने के ठिकाने केवल बिजली, गैस या अन्य स्वच्छ ईंधन का ही उपयोग करेंगे। इसके अलावा, डीजल जेनरेटरों का उपयोग भी सीमित किया गया है; इनकी अनुमति केवल आवश्यक या आपातकालीन स्थिति में ही रहेगी।
यह भी पढ़ें: मांझी की पार्टी ने सभी 6 सीटों पर उतारे उम्मीदवार, बहू दीपा कुमारी को भी दिया टिकट
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्माण और ध्वस्तीकरण (demolition) स्थलों पर भी सख्ती बरती जाएगी। ग्रैप 1 के तहत, एंटी स्मोग गन जैसे धूल नियंत्रण उपाय का प्रयोग शुरू किया जाएगा। सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों का सख्ती से पालन करना होगा। 500 वर्गमीटर से बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए स्वीकृत डस्ट मैनेजमेंट प्लान का पालन करना अनिवार्य रहेगा।