पत्नी की हत्या के आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सख्त फटकार (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक ब्लैक कैट कमांडो की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि देश के लिए लड़ने का मतलब यह नहीं कि कोई व्यक्ति घर में अपराध कर बच निकल सकता है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब आरोपी कमांडो ने दावा किया कि वह ऑपरेशन सिंदूर में शामिल था और पिछले 20 वर्षों से राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात है। उसने कोर्ट से पुलिस के सामने सरेंडर करने से छूट की मांग की थी।
यह याचिका विशेष अनुमति याचिका (SLP) के तहत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने तर्क दिया कि वह एक अनुभवी कमांडो है और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा चुका है। लेकिन कोर्ट ने इसे कोई विशेषाधिकार मानने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह तर्क एक गम्भीर अपराध से बचने का आधार नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति भुइयां की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आपका कमांडो होना यह सिद्ध करता है कि आप कितने शारीरिक रूप से सक्षम हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी पत्नी की हत्या जैसे घृणित अपराध में शामिल हो जाएं।” उन्होंने इस हत्या को अमानवीय और निर्मम बताया।
कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ दहेज हत्या (IPC धारा 304B) का गंभीर आरोप है, जिसमें उसकी पत्नी की मौत के पीछे दहेज की मांग को प्रमुख कारण बताया गया है। आरोपी पर आरोप है कि उसने दहेज में मोटरसाइकिल की मांग की थी और जब मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी।
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हाईकोर्ट से भी मिल चुकी है नकारात्मक टिप्पणी
इससे पहले हाईकोर्ट ने भी आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका में अभियोजन पक्ष से जवाब मांगते हुए छह सप्ताह में नोटिस देने का निर्देश दिया है। हालांकि, आरोपी की ओर से सरेंडर के लिए दो हफ्ते का समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब आरोपी को दो सप्ताह के भीतर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।