EOW की टीम ने रायपुर समेत पांच जिलों में एक साथ 13 ठिकानों पर छापेमारी की
रायपुर: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की टीम ने रायपुर समेत पांच जिलों में एक साथ 13 ठिकानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया है। यह कार्रवाई शनिवार सुबह शुरू हुई और देर शाम तक चली। बताया जा रहा है कि जिन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी हुई, वे पूर्व मंत्री के करीबी हैं। ईओडब्ल्यू को इस दौरान नकदी, मोबाइल, बैंक खातों की जानकारी और जमीनों में निवेश से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी जांच शुरू हो चुकी है।
इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री पहले से ही जेल में बंद हैं, जिनकी गिरफ्तारी के बाद घोटाले से जुड़ी परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि घोटाले के जरिए सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। बड़ी मात्रा में अवैध शराब की बिक्री हुई थी और सरकारी लाइसेंस वाली दुकानों पर नकली होलोग्राम का इस्तेमाल कर करोड़ों की कमाई की गई।
दस्तावेजों से खुलेंगे कई राज
छापेमारी के दौरान छत्तीसगढ़ अंबिकापुर में एक कपड़ा कारोबारी के घर से 19 लाख रुपये नकद मिले हैं। इसके साथ ही अन्य स्थानों से कई मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खाता विवरण और प्रॉपर्टी से जुड़े कागजात भी जब्त किए गए हैं। इन सभी दस्तावेजों का विश्लेषण कर यह पता लगाया जा रहा है कि घोटाले से जुड़े पैसों को कहां और कैसे निवेश किया गया।
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दो हजार करोड़ का था पूरा घोटाला
यह शराब घोटाला करीब दो हजार करोड़ रुपये का बताया जा रहा है, जो साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था। इसमें अवैध शराब बिक्री, नकली होलोग्राम और फर्जी बिलिंग का बड़ा खेल शामिल था। जांच में यह भी सामने आया है कि होलोग्राम की सप्लाई यूपी की एक निजी कंपनी से कराई गई थी, जिससे फर्जीवाड़ा और गहरा हो गया। यह घोटाला प्रदेश सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने वाला माना जा रहा है। ईओडब्लयू की इस कार्रवाई में बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने जरूरी दस्तावेजों को जब्त कर लिया है।