कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम में पढ़ाई करने वालों के पास यूं तो कई बेहतरीन करियर ऑप्शन होते हैं। लेकिन एक ऐसी भी फील्ड है, जहां वो चाहकर भी अपनी किस्मत नहीं आजमा सकते थे, जो कि पायलट का कोर्स था। हालांकि अब इस स्ट्रीम वाले भी अपने सपने की उड़ान भरने का ये सपना देख सकते हैं। अब कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम वाले भी कमर्शियल पायलट बन सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये जानकारी हासिल हुई है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने कमर्शियल पायलट लाइसेंस ट्रेनिंग के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव करने के बारे में चर्चा की है।
अब तक सीपीएल ट्रेनिंग के लिए एडमिशन लेने के लिए छात्रों को 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स की पढ़ाई करनी जरूरी थी, लेकिन डीजीसीए जल्द ही कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम बैकग्राउंड वाले छात्रों को भी पायलट ट्रेनिंग लेने की परमिशन दे सकता है।
डीजीसीए का ये कदम उनके कैंडिडेट्स के लिए करियर के दरवाजे खोल सकता है, जिन्होंने स्कूल में साइंस नहीं लिया, लेकिन पायलट बनकर एयरोप्लेन उड़ाने का सपना देखते हैं। भले ही कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम वाले कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए ट्रेनिंग ले सकते हैं, लेकिन उनके लिए सबसे जरूरी ये है कि उन्हें डीजीसीए द्वारा निर्धारित मेडिकल फिटनेस स्टैंडर्ड को पूरा करना होगा।
वैसे आमतौर पर पायलट ट्रेनिंग को काफी मुश्किल भरा माना जाता है और इसके लिए टेक्निकल नॉलेज की जरूरत होती है। इसीलिए साल 1990 के दशक में भारत में पायलट बनने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स विषयों को अनिवार्य कर दिया गया था, जिससे कॉमर्स और आर्ट्स जैसे अन्य स्ट्रीम के छात्रों के लिए पायलट बनने का सपना सिर्फ सपना ही रह गया था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन नियमों के लागू होने से पहले कमर्शियल पायलट लाइसेंस ट्रेनिंग शुरू करने के लिए 10वीं पास होना ही पर्याप्त था।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीजीसीए इस नए रूल को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है और जल्द ही इसे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर कमर्शियल पायलट लाइसेंस ट्रेनिंग सभी स्ट्रीम के छात्रों के लिए आसान हो जाएगी और भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जहां सीपीएल ट्रेनिंग के लिए फिजिक्स और मैथ्स कंपल्सरी नहीं हैं।