आयकर विभाग (सौजन्य : सोशल मीडिया)
वर्तमान समय में लोग इनकम टैक्स बचाने के लिए कई तरीकों को आजमाते हैं। जिसके लिए वे अलग-अलग स्कीम्स में भी निवेश करते हैं, साथ ही डोनेशन और लोन का भी सहारा लेते हैं। वैसे तो देश के हर नागरिक की ये जिम्मेदारी है कि उसे टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इस साल इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन 15 सितंबर 2025 तय की गई है।
अगर आपके सेविंग्स अकाउंट से आपको 10,000 रुपये से भी कम ब्याज मिलता है, तो इसके लिए आपको किसी भी प्रकार का कोई टैक्स भुगतान नहीं करना होगा। लेकिन अगर आपके पास एक या उससे ज्यादा बैंक अकाउंट्स है और इन पर मिलने वाला ब्याज अमाउंट क्रमश: 10 हजार रुपये और 5 हजार रुपये है, तो आपको इस इनकम पर टैक्स नहीं देना होगा।
जैसा की सभी जानते है कि भारत एक कृषिप्रधान देश है, इसीलिए देश के एग्रीकल्चरल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत एग्रीकल्चर सेक्टर से होने वाली इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है।
पीएफ अकाउंट में जमा हुआ पैसा इनकम टैक्स एक्ट की सेक्शन 80 सी के अंतर्गत टैक्स फ्री है। हालांकि इसमें शर्त ये है कि ये बेसिक सैलरी के 12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
सामान्य तौर पर कॉस्ट टू कंपनी का हिस्सा होने के कारण ग्रैच्युटी पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के बाद किए जाने वाले संशोधन के अनुसार, 20 लाख रुपये तक के ग्रैच्युटी अमाउंट पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होता है।
रिटायरमेंट से पहले अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से रिटायरमेंट लेता है, तो रिटायरमेंट पर मिलने वाली अमाउंट 5 लाख रुपये तक की राशि पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होता है। साथ ही, रिश्तेदारों ये या शादी के मौके पर मिलने वाले गिफ्ट्स पर भी किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगता है।
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सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में इंवेस्ट करने की ओरिजिनल अमाउंट पर भी किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होता है। हालांकि इस पर मिलने वाला ब्याज पर टैक्स लगता है। 50,000 रुपये की इनकम तक इनकम टैक्स एक्ट की सेक्शन 80 टीटीबी के अंतर्गत कटौती का दावा किया जा सकता है। अगर आपको 50,000 रुपये से ज्यादा का ब्याज मिलता है, तो उस पर टैक्स का भुगतान करना होता है।