इंडियन बैंक (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत में लगभग 97619 से भी ज्यादा बैंक हैं। इनमें से 96000 से भी ज्यादा बैंक ग्रामीण सहकारी बैंक है और 1485 बैंक शहरी इलाकों में मौजूद बैंक हैं। इसके अलावा भी देश में कुल 12 पब्लिक बैंक, 22 प्राइवेट बैंक, 44 विदेशी बैंक और 56 रिजनल रूरल बैंक हैं। हालांकि देश के ज्यादातर लोग सरकारी बैंकों जैसे बड़े बैंकों में अपनी जमापूंजी रखना पसंद करते हैं। अगर देश के सबसे बड़े बैंक की बात की जाए तो ये बैंक एचडीएफसी बैंक है, उसके बाद दूसरे स्थान पर आईसीआईसीआई बैंक और तीसरे स्थान पर एसबीआई बैंक का नाम शामिल हैं।
देश की अधिकांश जनता बड़े बैंकों में ही अकाउंट ओपन करवाने और फिक्स्ड डिपॉजिट जमा करते हैं। अगर देश के बड़े बैंकों की संख्या देखी जाए तो देश में करीब 80 से ज्यादा बैंक हैं। जबकि देश में टोटल बैंकों की संख्या 96000 हैं। ऐसे में अक्सर आपके मन में सवाल आता है कि छोटे या बड़े कौन से बैंक में पैसा जमा करवाना सही होगा?
आज के समय में हर किसी का अपना बैंक अकाउंट होता है। इन बैंक अकाउंट्स में लोग अपनी मेहनत की कमाई को रखते हैं और बैंक में जमा पैसे पर ब्याज मिलता है। जब बड़े बैंकों में पैसा जमा रहता है, तो लोग बिना किसी टेंशन के रहते हैं। लेकिन क्या सोच सकते हैं कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाएं या फिर बंद हो जाएं तो इन पैसों का क्या होता है? आपको ऐसी स्थिति में आपका पैसा वापस मिलेगा या नहीं? इस स्थिति को लेकर क्या कानून हैं इसके बारे में जानते हैं?
बिजनेस की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें
इसे आसान भाषा में ऐसा समझा जाता है कि जब बैंक की लायबिलिटी बैंक की असेट्स से ज्यादा हो जाती है और बैंक इस समस्या से निपटने में सक्षम ना हो तो बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है। दूसरी भाषा में कहा जाए तो जब बैंक की कमाई उस बैंक के खर्चों की तुलना में काफी कम हो जाते हैं और ये बैंक लगातार नुकसान झेल रहा हो और इस आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम हो जाता है, तो ऐसे बैंक को डूबा हुआ घोषित किया जा सकता है। बैंक रेग्यूलेटर ऐसे बैंक को बंद करने का फैसला ले सकता हैं। बैंक जिन भी स्थितियों में दिवालिया होता है, उसमें सबसे अहम स्थिति कर्ज का वापस ना मिलना होता है।
जिस भी बैंक में आपका अकाउंट है, अगर वो बैंक बंद हो जाता है या डूब जाता है, तो इस स्थिति में आपको नियमों के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा 5 लाख रुपये ही वापस लौटाएं जा सकते हैं, भले ही आपने इस बैंक में इस अमाउंट से ज्यादा पैसे क्यों ना जमा किए हो। चाहे सरकारी बैंक हो या प्राइवेट बैंक सभी बैंकों की प्रोसेस लगभग एक जैसी ही होती है।
डिपॉजिट इंश्योरेंस सिस्टम में सेविंग्स अकाउंट, करेंट अकाउंट, रिकरिंग अकाउंट समेत हर तरह के डिपॉजिट शामिल होते हैं, जिसमें डाली गई राशि पर इंश्योरेंस कवर दिया जाता है। सबसे खास बात ये है कि इस नियम के अंतर्गत, किसी भी बैंक के दिवालिया होने पर इंश्योरेंस के अंतर्गत अकाउंट होल्डर्स को पैसा 90 दिनों के अंदर वापस मिलता है। नियम के अंतर्गत संकटग्रस्त बैंक को पहले 45 दिनों में इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को सौंपा जाता है। रिजॉल्यूशन का इंतजार किए बिना 90 दिनों के अंदर इस प्रोसेस को पूरा किया जाता है।
अगर आप भी ये सोच रहे हैं कि जिस बैंक में आपका पैसा रखा है अगर वो डूब जाता है, तो आपको कितने रुपये मिलेंगे ? इसका उत्तर हम आपको बताने जा रहे हैं। वैसे तो आपने कितने भी रुपये बैंक में जमा किए हो ऐसी परिस्थिति आने पर बैंक आपको सिर्फ 5 लाख रुपये मिलते हैं। लेकिन अगर आपने इस बैंक की अलग अलग ब्रांचों में पैसा जमा करवाया हो तो आपको कितने पैसे मिलेंगे? अगर आपने एक ही बैंक के अलग अलग ब्रांचेस में अकाउंट खोला है, तो भी इसे एक ही माना जाता है। इन सभी अकाउंट में जमा की गई राशि की गणना की जाएगी, सबको मिलाकर अगर ये राशि 5 लाख रुपये से कम है, तो आपको जितनी जमा राशि है, उतने ही पैसे मिलेंगे। साथ ही यदि आपके सभी अकाउंट्स को मिला कर 5 लाख से ज्यादा की राशि जमा है, तो भी आपको हर्जाने के तौर पर सिर्फ 5 लाख रुपये ही मिलेंगे।