केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : भारत का टेलीकॉम सेक्टर पिछले कुछ समय से नई नई उपलब्धि हासिल कर रहा है। भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास अपनी टेलीकॉम टेक्नीक है। केंद्रीय टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि भारत से पहले ये टेक्नोलॉजी सिर्फ चीन, फिनलैंड, स्वीडन और साउथ कोरिया के पास है। हमारा टारगेट भारत के ग्लोबल 6जी स्टैंडर्ड में कम से कम 10 प्रतिशत योगदान देना है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा है कि दुनियाभर में टेलीकॉम कंपनियों का मर्जर हो रहा है। लेकिन, हमारे यहां 4 कंपनियां हैं। साल 2014 में देश में 90 करोड़ मोबाइल यूजर्स थे। आज यह संख्या 1.2 अरब से ज्यादा हो गई हैं, उस समय 25 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े थे और अब 97 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। साल 2014 में 6 करोड़ लोगों के पास ब्रॉडबैंड इंटरनेट था, जिनकी संख्या आज 94 करोड़ पहुंच गई है। यह अमेरिका की कुल जनसंख्या से ज्यादा है। मंत्री ने कहा है कि भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल देशभर में ऐसे एक लाख स्वदेशी 4जी मोबाइल टावर लगा रही है, जिन्हें 5जी में बदला जाएगा। यह काम जून तक पूरा हो जाने की उम्मीद की जा रही है। यह आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया है कि सरकार की ओर से डायरेक्ट-टू-डिवाइस यानी डीटीडी सैटेलाइट मैसेजिंग सर्विसेज शुरू की गई हैं। इस टेक्निक में स्मार्टफोन से तब भी मैसेज भेजे जा सकते हैं, जब वह नेटवर्क से कनेक्ट न हो। तब कनेक्टिविटी डायरेक्ट सैटेलाइट से मिलने लगती है, न कि मोबाइल टावर से। हमारे पास 100 5जी टेस्ट बेड, 6जी टेस्ट बेड और भारत 6जी अलायंस है, जो जर्मनी, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ सहयोग कर रहा है।
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टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, भारत में सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सर्विसेज शुरू करने के लिए न सिर्फ एलन मस्क की स्टारलिंक ने अप्लाई किया, बल्कि कई अन्य कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। उपग्रह सेवाएं मौजूदा सर्विसेज नेटवर्क की पूरक होंगी। ग्रामीण और दूर के क्षेत्रों को कवर करने में मदद करेंगी। सिंधिया ने कहा, हमने सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सर्विसेज के लिए पहले ही 2 कंपनियों को लाइसेंस दे दिए हैं। पहला रिलायंस को और दूसरा भारती एयरटेल को।