
तंबाकू उत्पादों पर बढ़ेगा टैक्स। इमेज-एआई
Tobacco Compensation Cess: सरकार सिगरेट, पान मसाला और गुटखा पर टैक्स का बोझ बढ़ाने की तैयारी में है। इसका कारण है कि GST व्यवस्था के तहत लगाया जाने वाला मुआवजा सेस जल्द समाप्त होने वाला है। सरकार चाहती है कि इसके हटने के बाद इन उत्पादों पर कुल टैक्स कम नहीं हो, इसलिए एक नया सेस लाने की योजना बनाई गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में हेल्थ सिक्योरिटी नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025 और सेंट्रल एक्साइज एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पेश करेंगी।
सरकार का मकसद है कि मुआवजा सेस की जगह नया सेस लगाया जाए, ताकि तंबाकू उत्पादों और पान मसाला पर टैक्स की कुल दर पहले जैसी रहे। कैबिनेट ने हाल में दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने एक रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा है कि सरकार इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि मुआवजा सेस हटने के बाद तंबाकू उत्पादों पर लगने वाला कुल टैक्स कम न हो।
ड्राफ्ट बिल में जिक्र है कि यह सेस राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की दिशा में कदम है। यह सेस उन मशीनों या प्रक्रियाओं पर लगाया जाएगा, जिनसे निर्धारित उत्पाद बनाए जाते हैं।
रक्षा मंत्रालय को उम्मीद है कि आने वाले बजट में उसकी फंडिंग 20 फीसदी तक बढ़ेगी। यह नया सेस रक्षा क्षेत्र के लिए अतिरिक्त फंडिंग जुटाने में मदद करेगा। सितंबर में सरकार ने जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव किया था। पहले 28 फीसदी का टैक्स स्लैब था, जिसे हटाकर कुछ उत्पादों पर 40 फीसदी का टैक्स लगाया गया। यह दर अब तंबाकू उत्पादों, एरेटेड वॉटर, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कैफीनेटेड ड्रिंक्स, बड़ी कारों, 350सीसी से अधिक वाली बाइक, निजी उपयोग के लिए विमान और याट पर लागू है। मुआवजा सेस जो पहले 1 फीसदी से 290 फीसदी तक की दरों में लगता था, उसे अधिकांश उत्पादों से हटाया गया है, लेकिन तंबाकू उत्पादों पर जारी रहा।
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जीएसटी लागू होने पर राज्यों को रेवेन्यू के नुकसान की भरपाई करने को इसे सिर्फ 5 साल तक यानी जून 2022 तक लागू करना था। मगर, COVID-19 के दौरान राज्यों को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए इसे बढ़ाकर मार्च 2026 तक किया गया या तब तक जब तक उधार लिए पैसे की अदायगी नहीं हो जाती। जैसे-जैसे मुआवजा सेस समाप्ति के करीब आ रहा सरकार उन उत्पादों पर नया लेवी लाने की तैयारी में है, जिनसे पहले बड़ी टैक्स आय आती थी।






