RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा
नवभारत बिजनेस डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI अगले हफ्ते 16 अरब डॉलर (लगभग 1.38 लाख करोड़ रुपये) से अधिक की नकदी बैंकिंग सिस्टम में डालेगा। यह कदम टैक्स भुगतान से होने वाली नकदी निकासी के कारण आई कमी को पूरा करने के लिए उठाया गया है। आरबीआई ने लिक्विडिटी का आकलन करने के बाद सरकारी बॉन्ड खरीदने का लक्ष्य बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये (लगभग 4.61 अरब डॉलर) कर दिया है। इससे बैंकिंग सेक्टर में नकदी की स्थिति बेहतर होगी और आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी।
इससे पहले, आरबीआई ने 20,000 करोड़ रुपये के सरकारी बांड खरीदी थी, लेकिन गुरुवार को उसने इस राशि को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया। करूर वैश्य बैंक के ट्रेजरी हेड, वीआरसी रेड्डी के अनुसार, इसी तरह की कार्रवाई के बाद आगे भी बांड खरीदारी की मात्रा बढ़ने की संभावना थी। वे यह भी मानते हैं कि वित्तीय वर्ष के अंत तक ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के तहत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बॉन्ड खरीदारी की आवश्यकता होगी।
आरबीआई ने आगामी नीलामी के लिए 6.79% सरकारी बॉन्ड को भी शामिल किया है। जनवरी में, आरबीआई ने इस बॉन्ड के 5,000 करोड़ रुपये के बांड खरीदे थे, लेकिन दूसरी बार इस बॉन्ड को ओएमओ नीलामी में शामिल नहीं किया था।
पिछले एक महीने में, आरबीआई ने विभिन्न तरीकों से लगभग 2.68 लाख करोड़ रुपये की नकदी बैंकिंग सिस्टम में डाली है। इसमें ओपन मार्केट ऑपरेशंस (बॉन्ड खरीद) और सेकेंडरी मार्केट में सरकारी बॉन्ड की खरीदारी शामिल है। इसके अलावा, डॉलर-रुपये के विनिमय से भी नकदी प्रवाह बढ़ाया गया। आरबीआई ने लंबे समय के वेरिएबल रेट रेपो (वीआरआर) नीलामी के जरिए भी नकदी को नियंत्रित किया।
इसके साथ ही, आरबीआई बैंकों को ओवरनाइट रेपो सुविधा भी प्रदान कर रहा है, जिसे बैंकों की आवश्यकता के अनुसार समायोजित किया जाता है। हालांकि, इन रेपो नीलामियों में से लगभग दो-तिहाई पूरी तरह से भरी नहीं गईं, जिससे यह संकेत मिलता है कि आरबीआई बाजार की जरूरत से अधिक नकदी उपलब्ध करा रहा है।
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आरबीआई ने सोमवार को 1 लाख करोड़ रुपये की चार दिन की वेरिएबल रेट रेपो नीलामी आयोजित करने का भी ऐलान किया है। यह कदम इस वजह से लिया गया है क्योंकि 20 फरवरी के आसपास वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतान से बैंकिंग सेक्टर से लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये से 2 लाख करोड़ रुपये तक की नकदी बाहर जाने का अनुमान है।