मूडीज रेटिंग एजेंसी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार को कहा है कि इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर को साल 2070 तक शुद्ध रुप से जीरो कार्बन एमीशन का टारगेट हासिल करने के लिए आने वाले 10 साल में 700 अरब डॉलर के इंवेस्टमेंट की जरूरत होगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर देश में लगभग 37 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है और इस मामले में क्षेत्र का योगदान सबसे ज्यादा है। वित्त वर्ष 2025-26 से 2050-51 के दौरान बिजली क्षेत्र को जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत यानी अगले 10 सालों के लिए लगभग 2 प्रतिशत निवेश की जरूरत है और यह संभव है।
यह सेक्टर वर्तमान में कोयले से होने वाले उत्पादन पर अत्यधिक निर्भर है। क्षेत्र को अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को पूरा करने के लिए देश के लिए महत्वपूर्ण कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने को लेकर इंवेस्टमेंट करना होगा। इसमें कहा गया है कि हमें अगले 10 साल में मजबूत इकोनॉमिकल ग्रोथ की उम्मीद है। जिसका सीधा मतलब है कि उस अवधि में भारत की कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता का विस्तार होगा। यह कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य के लिहाज से बाधा है।”
मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2034-35 तक इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर के लिए सालाना इंवेस्टमेंट जरूरत 4.5 लाख करोड़ रुपये से 6.4 लाख करोड़ रुपये के बीच रहने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2026-51 में यह लगभग 6,00,000 करोड़ रुपये से 9,00,000 करोड़ रुपये सालाना के बीच रहने का अनुमान है।
बिजली क्षेत्र के निवेश में बिजली उत्पादन यानी नवीकरणीय ऊर्जा, कोयला और परमाणु ऊर्जा सहित बिजली पारेषण और वितरण और एनर्जी स्टोरेज के लिए पूंजीगत व्यय शामिल है। इसमें कहा गया है कि सालाना, यह अगले 10 सालों में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026-51 में जीडीपी का 1.5 से 2 प्रतिशत बैठता है।
मूडीज के अनुसार ये इंवेस्टमेंट जरूरी हैं। इसका वित्तपोषण पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर तथा विदेशी और घरेलू पूंजी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारत की इकोनॉमी अगले 10 साल में लगभग 6.5 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ेगी। इसमें बिजली की मांग में संचयी आधार पर ईयरली ग्रोथ रेट लगभग 6 प्रतिशत होगी।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी यानी आईईए के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति बिजली खपत 2021-22 में 1,255 किलोवाट घंटा थी जो ग्लोबल एवरेज का एक-तिहाई है। इकोनॉमिकल ग्रोथ और लाइफस्टाइल में सुधार के साथ इसमें ग्रोथ की संभावना है। मूडीज ने कहा है कि इस अवधि में रिन्यूऐबल एनर्जी क्षमता में लगभग 450 गीगावाट की वृद्धि का हमारा अनुमान ऐसी डिमांड को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होगा। इसका मतलब है कि भारत की कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता अगले 10 साल में 35 प्रतिशत यानी 218 गीगावाट से लगभग 295 गीगावाट तक बढ़ेगी।
शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के लिए रिन्यूऐबल एनर्जी, ग्रिड नेटवर्क और एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में निवेश पर ध्यान देने की जरूरत होगी। अगले 20-25 वर्षों में नई पीढ़ी की क्षमता वृद्धि में सोलर और विंड एनर्जी का दबदबा रहेगा, जबकि परमाणु और जलविद्युत क्षमता में ग्रोथ कम होगी। मूडीज ने कहा कि इस बदलाव के लिए फाइनेंशियल को लेकर प्राइवेट सेक्टर और विदेशी पूंजी जरूरी है। उसे उम्मीद है कि प्राइवेट सेक्टर भारत के रिन्यूऐबल एनर्जी सेक्टर में बहुत सक्रिय रहेगा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी अपनी भूमिका बढ़ाएंगी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)