प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: सरकार द्वारा खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी किए जाने के बावजूद बुधवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में वर्ष के पहले कारोबारी सत्र में कच्चे पाम तेल (CPO) एवं पामोलीन तेल के दाम बढ़ने के बजाय घट गए। इंपोर्ट तेलों के दाम टूटने से कारोबारी धारणा प्रभावित होने के कारण बिनौला तेल, इंपोर्ट ड्यूटी घटाए जाने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। दूसरी ओर सीसीआई द्वारा बिनौला सीड के दाम बढ़ाने के फैसले का मूंगफली दाना (तिलहन) पर असर आया और उसके दाम में मामूली सुधार है। लेकिन मूंगफली के पहले से काफी कमजोर दाम रहने के बीच मूंगफली तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। कारोबारी धारणा प्रभावित रहने से सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन के दाम भी पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में नए साल के उपलक्ष्य में छुट्टी है। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि की है और सीपीओ का आयात शुल्क मूल्य 106 रुपये क्विंटल, पामोलीन का आयात शुल्क मूल्य 117 रुपये क्विंटल बढ़ाया है। दूसरी ओर सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में 28 रुपये क्विंटल की कमी की गई है। यह सरकार के द्वारा सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि जब मलेशिया में खाद्य तेलों का निर्यात शुल्क बढ़ाया जाता है तो उपचारात्मक उपाय के तहत हमारे देश की सरकार को भी देश के हित में आयात शुल्क मूल्य बढ़ाना चाहिये।
वैसे देखा जाये तो पाम, पामोलीन का दाम देशी तेल-तिलहनों से पहले ही अधिक है लेकिन सोयाबीन तेल का दाम सरसों, मूंगफली जैसे तेलों से सस्ता होने के कारण देशी तेल-तिलहनों के समक्ष खपने की मुश्किल हो रही है। इन्हीं अनिश्चितताओं से बचने के लिए हमें अपना तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा और आयात पर निर्भरता कम से कम करनी होगी। सूत्रों ने कहा कि आवक कम रहने के बीच भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा बिनौला सीड (तिलहन) का दाम 100 रुपये क्विंटल बढ़ाने के बावजूद हरियाणा, पंजाब में कपास नरमा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बिक रहे हैं। पाम, पामोलीन पहले ही खप नहीं रहे थे और महंगे दाम पर इसके लिवाल नहीं हैं। इसलिए पाम, पामोलीन में गिरावट है। पाम, पामोलीन का दाम टूटने से सोयाबीन तेल में भी गिरावट रही।
हालांकि, सीसीआई ने कपास से निकलने वाले बिनौला सीड का दाम 100 रुपये क्विंटल बढ़ाया है। इससे कपास किसानों को कुछ राहत है मगर अब भी बिनौला सीड का दाम एमएसपी पर की गई खरीद लागत के अनुरूप नहीं है। बिनौला सीड के दाम की कमी का असर मूंगफली, बिनौला तेल, कपास नरमा के साथ-साथ बाकी तेल पर भी आता है। इस वजह से तेल-तिलहन बाजार को दुरुस्त करने के लिए सीसीआई को एमएसपी लागत के हिसाब से ही बिनौला सीड भी बेचना होगा।
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उन्होंने कहा कि आवक कम रहने की वजह से सोयाबीन तिलहन के साथ-साथ कारोबारी धारणा प्रभावित होने के बीच सरसों तेल-तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे। सूत्रों ने कहा कि सीसीआई द्वारा बिनौला सीड का दाम बढ़ाने के बाद मूंगफली तिलहन में मामूली सुधार है मगर इसका दाम अब भी एमएसपी से लगभग 15-16 प्रतिशत कम है। मूंगफली खल की कमजोर स्थानीय मांग के बीच मूंगफली तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।