नीति आयोग (सौ. डिजाइन फोटो )
नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए टैरिफ को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया हैं। इसी को लेकर नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में नीति आयोग ने भारत सरकार को अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी को लेकर दोहरी नीति अपनाने की बात कही है।
इस रिपोर्ट के अंतर्गत अमेरिका से इंपोर्टेड नॉन सेंसेटिव एग्री गुड्स पर विशेष रुप से हाई टैरिफ को कम करने के साथ डोमेस्टिक सप्लाई में कमी को पूरा करने के लिए रणनीतिक रूप से रियायतें भी देने का मत रखा हैं।
नीति आयोग ने ‘नई अमेरिकी व्यापार व्यवस्था के तहत भारत-अमेरिका कृषि व्यापार को बढ़ावा’ टाइटल से जारी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर को इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादातर अस्थिरता की स्थिति से निपटने को लेकर प्रोड्यूसर और कंज्यूमर्स दोनों के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अब दोहरी नीति अपनाना जरूरी है। कम समय में भारत को नॉन सेंसेटिव इंपोर्ट पर चुनिंदा रूप से हाई टैरिफ कम करने और पॉल्ट्री जैसे कमजोर माने जाने वाले सेक्टरों पर नॉन टैरिफ रक्षोपाय कदमों पर बातचीत करने पर विचार करना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी, 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अमेरिकी एक्सपोर्ट पर रेसीप्रोकल टैरिफ की अचानक घोषणा और बाजार में पहुंच बढ़ाने से दुनियाभर में खासकर अमेरिका के ट्रेड पार्टनर्स को झटका लगा। इसमें कहा गया है कि भारत जहां घरेलू सप्लाई में अंतर है, उसमें रणनीतिक रूप से रियायतें दे सकता है। इनमें खाने के तेल और बादाम, अखरोट आदि शामिल हैं।
भारत दुनिया में खाने के तेल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है और अमेरिका के पास सोयाबीन का बहुत बड़ा एक्सपोर्ट सरप्लस है, जो कि जीएम यानी जीन संवर्धित है। ऐसे में भारत अमेरिका को सोयाबीन तेल के इंपोर्ट में कुछ राहत दे सकता है, ताकि उस देश में डिमांड को पूरा किया जा सके और डोमेस्टिक प्रोडक्शन को नुकसान पहुंचाए बिना ट्रेड असंतुलन को कम किया जा सके। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत को चावल, चाय, झींगा, मछली, मसाले, कॉफी, रबड़ जैसे हाई परफॉर्मिंग वाले एक्सपोर्ट के लिए अमेरिकी बाजार में ज्यादा पहुंच को बातचीत करनी चाहिए। भारत, अमेरिका को एग्री-एक्सपोर्ट के माध्यम से सालाना लगभग 5.75 अरब डॉलर की कमाई करता है। टैरिफ छूट के माध्यम से इसका विस्तार करना व्यापार वार्ता का हिस्सा होना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रैटेजिक बिजनेस मैनेजमेंट के साथ-साथ, भारत को अपने एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्लोबल प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार के लिए मध्यम अवधि के संरचनात्मक सुधार करने चाहिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें उपयुक्त टेक्नोलॉजी को अपनाकर उत्पादकता अंतर को पाटना, बाजार सुधार, प्राइवेट सेक्टर की पार्टनरशिप, लॉजिस्टिक में सुधार और प्रतिस्पर्धी मूल्य श्रृंखलाओं का विकास शामिल है।
पिछले 20 सालों में भारत-अमेरिका एग्रीकल्चरल ट्रेड में अहम परिवर्तन और बढ़त हुई है। यह द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के प्रगाढ़ होने का संकेत है। भारत और अमेरिका के बीच एग्रीकल्चर ट्रेड की संरचना से पता चलता है कि दोनों देश अपने एक्सपोर्ट में विविधता ला रहे हैं। फ्रोजन झींगा, बासमती चावल और मसालों जैसी पारंपरिक वस्तुओं का दबदबा बना हुआ है, प्रोसेस्ड अनाज और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के एक्सपोर्ट में उल्लेखनीय बढ़त हुई है।
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अमेरिका से भारत का इंपोर्ट बादाम, पिस्ता और अखरोट जैसे हायर प्राइस वाली वस्तुओं तक ही सीमित है। भारत ने अमेरिका के साथ एग्रीकल्चर ट्रेड में सरप्लस बनाए रखा है और समय के साथ इसमें बढ़त हुई है। हालांकि, द्विपक्षीय व्यापार में कृषि का महत्व कम होता जा रहा है।