पूर्ण गरीबी (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी आ रही है। देश में पूरी गरीबी अब लगभग खत्म हो गई है। नीति आयोग की ओर से ये बात कही गई है। आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा है कि वर्ल्ड बैंक के नियमों के अनुसार, मापी गई पूर्ण गरीबी भारत में लगभग खत्म हो गई है।
उन्होंने कहा है कि हर दिन 1.9 डॉलर से कम कमाने वाले कुछ लोगों के लिए सामान्य पॉलिसी एक्शन नहीं जा सकती है। विरमानी ने उद्योग मंडल आईएमसी चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि कमजोर के रूप में चिन्हित आबादी का प्रतिशत भी काफी भी कम हो गया है और अगले 7 सालों में खत्म हो जाएगा।
हालांकि उन्होंने ये बात स्वीकार की है कि पूरी गरीबी कम तो हुई है, लेकिन इनकम डिस्ट्रिब्यूशन के नजरिए से स्थिति बद से बदतर हो गई है। साल 2007 से साल 2009 के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर काम कर चुके विरमानी ने कहा है कि 11 सालों में पूर्ण गरीबी 12.2 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत पर आ गई है और ये घटकर 1 प्रतिशत तक हो गई है। सही मायने में ये गरीबी, जिसके बारे में हम 50 सालों से बात कर रहे थे, वो अब खत्म हो गई है।
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विरमानी ने कहा है कि 1 प्रतिशत आबादी जो अभी भी पूर्ण गरीबी से बाहर नहीं आयी है, दूरदराज के इलाकों और पहाड़ी इलाकों में रहती है और हमें ऐसे लोगों को ढूंढ़ना होगा। विरमानी ने कहा है कि आपको वहां जाकर वास्तविक व्यक्ति को खोजना होगा। आपके पास ऐसे मामलों से निपटने के लिए कोई भी सामान्य नीति नहीं हो सकती है। साथ ही उन्होंने बताया है कि साल 1960 के दशक में वर्ल्ड बैंक ने पूर्ण गरीबी की परिभाषा के तहत हर दिन एक डॉलर से कम कमाने वाले लोगों को रखा था, जो आज महंगाई के साथ समायोजित होकर 1.9 डॉलर प्रति दिन हो सकता है।