इक्विटी मार्केट (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : इक्विटी बाजार को लेकर ड्यूश बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया गया है कि साल 2000 के बाद से चीन के इक्विटी बाजार की तुलना में भारत का इक्विटी बाजार ज्यादा बेहतर और मजबूत रिटर्न देता हुआ नजर आ रहा है। इस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि चीन के मजबूत आर्थिक विकास के बाद भी, इसके इक्विटी बाजार का प्रदर्शन काफी मामूली रहा है।
साल 2000 के बाद से हर साल चीन का वास्तविक रिटर्न 4.0 प्रतिशत तक रहा है। इसके विपरीत, भारत उभरते हुए और विकसित दोनों बाजारों में लीड कर रहा है, जो कि हर साल 6.9 प्रतिशत का उच्चतम वास्तविक इक्विटी रिटर्न दे रहा है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में साल 2000-2024 की सभी तिमाही में मुख्य ईएम और डीएम देशों में से सबसे ज्यादा इक्विटी रिटर्न भारत ने दिया है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2024 तक भारत और अमेरिका उन कुछ बाजारों में से हैं जो रिकॉर्ड-उच्च केप यानी चक्रीय रूप से समायोजित मूल्य-से-आय अनुपात के करीब कारोबार कर रहे हैं। यह मीट्रिक, जो 10 साल की अवधि में इनकम को मापता है, चक्रीय विविधताओं को सुचारू करता है, लेकिन बाजार की गतिशीलता में संरचनात्मक परिवर्तनों को पूरी तरह से ध्यान में नहीं रख सकता है।
इसमें कहा गया है कि मिलेनियल के मोड़ पर, यू.एस. एसएंडपी 500 का केप अनुपात 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों में गिरने से पहले अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया था, अब यह पिछली सदी में केवल थोड़े समय के लिए ही ऊंचाई पर पहुंचा है। रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि टेक्नोलॉजिकल डोमिनेंस, एडवांस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इनकम एक्सपैक्टेशन में संरचनात्मक बदलाव अमेरिका के लिए इन ऊंचे वैल्यूएशन को उचित ठहराते हैं।
इसमें कहा गया है कि बुल्स का तर्क होगा कि टेक्नोलॉजिकल डोमिनेंस और एआई की उम्मीदें अमेरिका को संरचनात्मक बदलाव प्रदान करती हैं, और शायद भारत का दृष्टिकोण इतना सकारात्मक है कि निवेशक संभावित विकास के लिए भुगतान करने के लिए तैयार हैं।