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नई दिल्ली : PwC इंडिया की रिपोर्ट ‘ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया आउटलुक 2024-28: इंडिया पर्सपेक्टिव’ के अनुसार, भारत के मनोरंजन और मीडिया उद्योग के 8.3 प्रतिशत की संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 365,000 करोड़ रुपये (USD 44.2 बिलियन) तक पहुंचने का अनुमान है, जो वैश्विक दर 4.6 प्रतिशत से अधिक है।
बता दें, मौजूदा समय में राजस्व के मामले में अमेरिका वैश्विक बाजार में सबसे आगे है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर और भारत 9वें स्थान पर है। PwC इंडिया के मुख्य डिजिटल अधिकारी और TMT लीडर मनप्रीत सिंह आहूजा ने कहा कि भारत का मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र एक बड़े बदलाव के मुहाने पर है। बहुराष्ट्रीय परामर्श सेवा कंपनी के अनुसार, डिजिटल विज्ञापन, ओटीटी प्लैटफॉर्म, ऑनलाइन गेमिंग और जनरेटिव एआई जैसे प्रमुख विकास कारक उद्योग के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
आहूजा ने कहा कि ये तेजी से बढ़ते क्षेत्र भारत को नवाचार और विकास में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में अनुकूलन और नवाचार करने वाले व्यवसाय इस गतिशील परिदृश्य में अद्वितीय अवसरों को भुनाने के लिए तैयार हैं। भारत की बेहतर कनेक्टिविटी, बढ़ते विज्ञापन राजस्व और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बारे में अनुकूल सरकारी नीतियों के साथ, देश में अगले पांच वर्षों में सबसे अधिक विकास दर देखने का अनुमान है।
देश की 91 करोड़ से अधिक की बड़ी मिलेनियल और जेन-जेड आबादी के पास दुनिया की सबसे सस्ती डेटा लागत तक पहुंच है। मौजूदा समय में भारत में 80 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन, 55 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता और 78 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
भारत में बढ़ती खपत और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के साथ, विज्ञापन बाजार 2023 में 101,000 करोड़ रुपये से 2028 में 158,000 करोड़ रुपये तक 9.4 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत से 1.4 गुना है। PWC ने कहा कि इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा डिजिटल फ्रंट (इंटरनेट विज्ञापन) से आएगा, जिसके 15.6 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2023 में 41,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2028 में 85,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
इंटरनेट विज्ञापन की साल-दर-साल वृद्धि, जो 2023 में 26.0 प्रतिशत थी, पूर्वानुमान अवधि (2024-28) के दौरान दोहरे अंकों में रहेगी, और 2028 में 12.2 प्रतिशत होने की उम्मीद है। कॉर्ड-कटिंग की ओर यह बदलाव तेज होने की उम्मीद है। 2023 से 2028 के बीच पारंपरिक टीवी विज्ञापन 4.2 प्रतिशत CAGR की दर से बढ़ेगा, जबकि वैश्विक राजस्व में (-) 1.6 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। भारत 2026 तक चौथा सबसे बड़ा टीवी विज्ञापन बाज़ार बनने की ओर अग्रसर है।