बिहार में ओवैसी करेंगे सीमांचल न्याय यात्रा (फोटो- सोशल मीडिया)
AIMIM Cheaf Owaisi Seemanchal Nyay Yatra: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी पारा चढ़ने लगा है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आज यानी 24 सितंबर से अपनी बहुप्रतीक्षित ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ की शुरुआत कर दी है। यह यात्रा बिहार के सीमांचल क्षेत्र में चार दिनों तक चलेगी, जिसका मकसद यहां की बुनियादी समस्याओं पर सरकार का ध्यान खींचना है। ओवैसी इस यात्रा के जरिए बेरोजगारी, बाढ़ से तबाही, खराब बुनियादी ढांचे और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे, जिससे इलाके की सियासत गरमा गई है।
किशनगंज से आशीष कुमार सिन्हा की रिपोर्ट के अनुसार, ओवैसी का यह कदम सीमांचल के लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की एक बड़ी कोशिश है। उनका कहना है कि यह आंदोलन सीमांचल को उसका हक दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगा। इस यात्रा को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। एक युवा कार्यकर्ता ने कहा, “ओवैसी साहब हमारी उम्मीद हैं। अब सीमांचल की आवाज को और नहीं दबाया जा सकेगा।” पार्टी सोशल मीडिया और पोस्टरों के जरिए यात्रा की हर जानकारी साझा कर रही है।
चार दिन, चार जिले: यह है यात्रा का पूरा कार्यक्रम
यह चार दिवसीय यात्रा सीमांचल के चार प्रमुख जिलों से होकर गुजरेगी। 24 सितंबर को यात्रा की शुरुआत किशनगंज के पोठिया, ठाकुरगंज और बहादुरगंज जैसे इलाकों से हो रही है। इसके बाद 25 सितंबर को ओवैसी अररिया के अलग-अलग क्षेत्रों में जनसभाएं करेंगे। 26 सितंबर का दिन पूर्णिया में रैलियों और सभाओं के नाम रहेगा। यात्रा का समापन 27 सितंबर को कटिहार के डांगरा, बलरामपुर और बरसोई में बड़ी जनसभाओं के साथ होगा, जिसके बाद ओवैसी वापस किशनगंज लौटेंगे।
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#WATCH | Kishanganj, Bihar: On Bihar polls, AIMIM chief and MP Asaduddin Owaisi says, “Akhtarul Iman has written a letter to the LoP here (Tejashwi Yadav) and we have said through media that AIMIM is ready for alliance. Akhtarul Iman has also written that they can give us 6… pic.twitter.com/E9hoB3S8wq — ANI (@ANI) September 24, 2025
असदुद्दीन ओवैसी की यह न्याय यात्रा सिर्फ एक चुनावी दौरा नहीं, बल्कि सीमांचल की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है। इस क्षेत्र में लंबे समय से विकास की कमी और पलायन बड़े मुद्दे रहे हैं। ओवैसी इन्हीं मुद्दों को अपनी ताकत बनाकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या उनकी यह कोशिश आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों में तब्दील हो पाती है और क्या वह सच में सीमांचल के लोगों की एक प्रभावी आवाज बनकर उभरते हैं।