एम नागाराजू (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूट्स के लिए एक सूचना जारी की है। उन्होंने इन छोटी राशि के लोन देने वाली वित्तीय संस्थानों यानी एमएफआई ने फाइनेंशियल इनक्यूशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, लेकिन इस संस्थाओं को धड़ाधड़ लोन देने से बचने की सलाह दी है।
यहां ‘सा-धन’ के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को इस मामले में सावधान रहना चाहिए। स्वयं सहायता समूह यानी एसएचजी या संयुक्त रूप से लोन लेने वाले ग्रुप यानी जेएलजी को बिना सोचे विचारे या रिस्क से निपटने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन किए बिना लोन देने से इस सेक्टर को नुकसान हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि जो कुछ भी उनकी भुगतान करने की कैपेसिटी को प्रभावित करेगा, वह वास्तव में एमएफआई को नुकसान पहुंचाएगा। वित्तीय सेवा सचिव ने कहा है कि ‘‘इसीलिए, हमें इस बात में बहुत सावधान रहना चाहिए कि हम क्या, कब और कैसे लोन देते हैं। इसका कारण उनकी फाइनेंशियल साक्षरता सीमित है, हमें वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। आवश्यक फाइनेंस प्रदान करें और उनकी मदद भी सुनिश्चित करें ताकि वे फलें-फूलें और आगे बढ़ें।”
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नागराजू ने कहा कि स्वयं सहायता समूह को बैंक से जोड़ने के कार्यक्रम के तहत 77 लाख से अधिक समूह हैं। उनके पास 2.6 लाख करोड़ रुपये का बकाया ऋण है। इससे लगभग 10 करोड़ गरीब परिवारों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त रूप से कर्ज लेने वाले समूह भी 4.4 लाख करोड़ रुपये की बकाया कर्ज राशि के साथ लगभग 8 करोड़ गरीब परिवारों को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नागराजू ने कहा कि सरकार वूमेन्स एम्पावरमेंट के उद्देश्य से लखपति दीदी योजना भी लागू कर रही है। इस योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को महिला कारोबारियों में बदलना है ताकि वे अपना कारोबार स्थापित करने और उसे आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकें।
अभी कुछ ही दिनों पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी को बैंक लोन देने की बढ़त पहले के मुकाबले 29 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत होने की बात कही है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)