ईपीएफओ ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि अधिकारी संघ के रिटायर्ड ऑफिसरों ने देश के श्रम मंत्रालय से एक बड़ी मांग की है। ईपीएफओ के इन रिटायर्ड ऑफिसरों ने आईटी क्षेत्र के इंफ्रास्क्चर में सुधार करने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्री से हस्तक्षेप करने की बात कही है।
इसी सप्ताह मंत्री को लिखे पत्र में ईपीएफ अधिकारी संघ (ईपीएफओए) ने कहा कि वह ईपीएफ आईटी बुनियादी ढांचे – सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, आईटी जनशक्ति को उन्नत करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए नियमित रूप से अनुरोध कर रहा है। पुराने तंत्र से ईपीएफ के कर्मचारियों पर भारी दबाव पड़ रहा है और ईपीएफओ सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
संघ ने कहा कि स्थिति अब गंभीर हो गई है, क्योंकि अधिकारी और कार्यालय प्रतिदिन महत्वपूर्ण प्रणालीगत खामियों के बारे में बता रहे हैं। इसमें कहा गया कि ईपीएफओ का अपर्याप्त आईटी तंत्र और इससे सेवा संबंधी बाधाएं ईपीएफ सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। ईपीएफओ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इसकी सेवा वितरण अवसंरचना के आधारभूत घटक के रूप में कार्य करता है।
ईपीएफओ ने कहा कि हाल के दिनों में सॉफ्टवेयर में भारी अस्थिरता देखी गई है, जिसके तहत बार-बार व्यवधान आया है। इससे पहले, ईपीएफओ प्रबंधन ने सॉफ्टवेयर के प्रदर्शन संबंधी समस्याओं के लिए उपयोगकर्ता लॉगिन को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि उपयोगकर्ताओं के अधिक न होने पर भी प्रणाली धीमाी या ठप हो जाती है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है। सदस्यों और वित्तीय लेनदेन की मात्रा के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि[1] और प्रावधान अधिनियम 1952 के अन्तर्गत इस संगठन की स्थापना हुई। संगठन के प्रबन्धकों में केन्द्रीय न्यासी मण्डल, भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, नियोक्ता और कर्मचारी शामिल होतें हैं। इसके अध्यक्षता भारत के केन्द्रीय श्रम मन्त्री करतें हैं। संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, केन्द्रीय भविष्य निधि आयुक्त, मन्त्रालय के स्थायी सचिव के माध्यम से केन्द्रीय श्रम मन्त्री से जुड़े होतें हैं।
( एजेंसी इनपुट के साथ )