प्रतीकात्मक खबर
नई दिल्ली : साल 2016 में भारत सरकार के द्वारा नोटबंदी का फैसला करने के बाद से ही भारत में डिजिटल पेमेंट का चलन शुरू हो गया था। उसके बाद से ही भारत में डिजिटल ट्रांसेक्शन तेजी से आगे बढ़ रहा है और पूरी दुनिया में भारत ने इसे सबसे बेहतरीन तरीके से अपनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 11 साल पूरे होने पर एक बुक लॉन्च की गई है। जिसमें कहा गया है कि भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम ग्लोबल लेवल पर दुनिया के अलग-अलग देशों से जुड़ गई है।
इसमें कहा गया है कि भारत में डिजिटल पेमेंट क्रांति ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। मार्च 2025 में, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई पर लगभग 24.77 लाख करोड़ रुपये के 1,830.151 करोड़ यूपीआई ट्रांसेक्शन किए गए।
यूपीआई सिस्टम का उपयोग अब तकरीबन 46 करोड़ व्यक्ति और 6.5 करोड़ बिजनेसमैन करते हैं। सरकार ने बताया कि छोटे से छोटे ट्रांसेक्शन के लिए भी डिजिटल पेमेंट किया जा रहा है, जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत को छोटे या अत्यधिक छोटे पेमेंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण यानी डीबीटी के बारे में बुक में कहा गया कि मोदी सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और राजकाज में भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रभावी रूप से टेक्नोलॉजी और डिजिटल इक्वीप्मेंट का उपयोग किया है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में डीबीटी और आधार वेरिफिकेशन की शुरूआत से लाखों फर्जी लाभार्थियों की पहचान और सरकार के लिए भारी बचत हुई है।
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सरकार ने डीबीटी के जरिए साल 2015 से मार्च 2023 के बीच लाभ के वितरण के कारण 3.48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है। पिछले 11 सालों के दौरान, करोड़ों परिवारों को बैंक अकाउंट, इंश्योरेंस सहित सबसे बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच मिली है। बुक के अनुसार, पिछले 11 सालों में 55.22 करोड़ जन धन खाते खोले गए हैं, जबकि 51 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के दायरे में लाया गया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)