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नई दिल्ली: बजट 2025 में मध्यम वर्ग को आयकर पर बंपर राहत देने की घोषणा के बाद से ही नौकरीपेशा और कारोबारी लोगों के चेहरों पर खुशी की लहर है। सभी को लग रहा है कि अब उन्हें अपनी कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा और उनके पास खर्च और बचत के लिए ज्यादा पैसे होंगे। जब से आयकर को लेकर यह घोषणा हुई है, तब से हर कोई यही कह रहा है कि 12 लाख रुपये तक प्रत्यक्ष कर छूट दी जा रही है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है।
वित्त मंत्री ने जो घोषणा की है, उसमें नई कर व्यवस्था के तहत 4 लाख रुपये तक की आय को आयकर के दायरे से बाहर रखा गया है। इसका मतलब यह है कि 4 रुपये तक की आय पर प्रत्यक्ष कर छूट दी जा रही है। सवाल उठता है कि फिर 12 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त कैसे हो जाएगी। इसका जवाब आयकर अधिनियम की धारा 87 (ए) में छिपा है, जिसमें छूट का प्रावधान है। यही वह नियम है, जिसके तहत आम आदमी को टैक्स बचाने का मौका मिलेगा।
मोदी सरकार ने साल 2019 में पहली बार आम आदमी को आयकर छूट की परिभाषा से परिचित कराया। इस छूट का मतलब होता है वापस करना। जाहिर है, इस नियम के तहत सरकार टैक्स काटती या कैलकुलेट तो करती है, लेकिन उसे करदाताओं को वापस लौटा देती है। इसका मतलब है कि टैक्स कैलकुलेट करने के बाद भी उसे काटा नहीं जाता, बल्कि माफ कर दिया जाता है।
मोदी सरकार ने साल 2019 में जब पहली बार आयकर छूट जारी की थी, तो इसे पुरानी टैक्स व्यवस्था पर लागू किया गया था। तब सरकार ने कहा था कि पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट यानी यह पूरी तरह से टैक्स के दायरे से बाहर होगी। वहीं, 2.5 से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगाया गया है, लेकिन 5 लाख से कम कमाने वालों को छूट के तहत छूट दी जाएगी। इसका मतलब है कि 12.5 हजार रुपये की टैक्स छूट दी जाएगी।
पिछले साल सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था में प्रत्यक्ष कर छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया था, जबकि छूट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये और फिर 7 लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब तक 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स की गणना होती है, लेकिन उस पर टैक्स नहीं काटा जाता है।
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अब यही बात 12 लाख रुपये तक की आय पर भी लागू होगी। इसका मतलब यह है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर 4 लाख रुपये के बाद टैक्स की गणना होगी, लेकिन उस पर टैक्स नहीं काटा जाएगा। इस तरह करदाता को टैक्स छूट नहीं बल्कि टैक्स छूट दी जाएगी और उस पर आयकर का बोझ नहीं पड़ेगा।