निर्मला सीतारमण, (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण 1 फरवरी, 2025 को मोदी सरकार का 14वां बजट संसद में पेश करेंगी। इससे पहले आर्थिक विशेषज्ञों के साथ-साथ आम जनता को भी राहत की उम्मीदें हैं। हालांकि, बजट से एक सप्ताह पहले वित्त मंत्री के पास एक खास चिट्ठी पहुंच गई है, जिसमें सरकार से कई बड़ी मांगे की गई है। लेकिन, सभी मांगों में से जो महत्वपूर्ण मांग की गई है वो है ‘इनकम टैक्स’ के नाम बदलने की मांग। इसके अलावा मीडिल क्लास को राहत देने के लिए इनकम टैक्स में छूट की सीमा 10 लाख रुपये किए जाने का मांग भी शामिल है। आइए जानते हैं कि निर्मला सीतारण को यह चिट्ठी किसने लिखा है और इसमें किन-किन मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही गई है।
सबसे पहले आपको बता देते हैं कि यह चिट्ठी सीटीआई (Chamber of Trade and Industry) के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए उन्होंने आगामी बजट को लेकर केंद्र सरकार से 10 बड़ी मांग की है।
आपको बता दें कि सीटीआई के शीर्ष सदस्यों द्वारा लिखे गए पत्र में वृद्ध टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनीफिट देने की मांग की है। वहीं, टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले वर्षों में दिए गये इनकम टैक्स के हिसाब से उन्हें सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट बेनिफिट दिए जाने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा मीडिल क्लास को राहत देने के लिए इनकम टैक्स में छूट की सीमा 10 लाख रुपये करने की बात की गई है। जबकि, कार्पोरेट्स और बड़ी कंपनियों को बैंक लोन सस्ती ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केंद्र सरकार की जो मुद्रा योजना है उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है, इसलिए पत्र में मांग की गई है कि मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन और अध्यक्ष ने अपने पत्र के जरिए इनकम टैक्स में 45 दिन में पेमेंट और जुर्माने का जो नया नियम आया है, इससे करोड़ों व्यापारी और MSME व्यापारी परेशानी झेल रहे हैं, इसको वापस लिए जाने का सुझाव दिया है। जबकि, जीएसटी की नई एमनेस्टी स्कीम का लाभ उन व्यापारियों को भी मिलना चाहिए जो पहले ही टैक्स, ब्याज और पेनल्टी जमा करा चुके हैं। पिछले कुछ सालों से मेडिकल इंस्योरेंस प्रीमियम बुरी तरह से बढ़ा है, जिससे मध्यम वर्ग को भारी परेशानी हो रही है।
इसके अलावा इनकम टैक्स में भी जीएसटी की तरह हाइब्रिड सिस्टम होना चाहिए, जिससे कि उसको व्यक्तिगत हियरिंग का मौका मिल सके। आम जरूरत की बहुत सारी चीजों पर अभी भी 28 फीसदी और 18 फीसदी GST लगता है, इसलिए GST की दरों को तर्कसंगत बनाया जाए। केंद्र सरकार को व्यापारियों और उद्यमियों के लिए ट्रेड एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करना चाहिए।
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इनकम टैक्स का नाम बदलकर ‘राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि’ रखा जाए जिससे कि लोगों में ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने की भावना जागृत हो। इसके अलावा, दिल्ली के बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए अलग से 1000 करोड़ रुपए के फंड की घोषणा केंद्र सरकार करें।