प्रतीकात्मक तस्वीर
IDBI Bank Privatisation: बैंक अधिकारियों के संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने बुधवार को आईडीबीआई बैंक के निजीकरण का विरोध किया। सरकार के इस फैसले का आलोचना करते हुए कहा कि यह वर्ष 2003 में दिए गए संसदीय आश्वासनों के साथ विश्वासघात होगा। दिसंबर 2003 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने संसद में आश्वासन दिया था कि सरकार हर समय आईडीबीआई बैंक में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखेगी।
एआईबीओसी ने एक बयान में कहा कि आईडीबीआई बैंक का निजीकरण केवल शेयरों की बिक्री नहीं है, बल्कि यह लोगों की बचत की बिक्री है, भारत के सार्वजनिक बैंकिंग नेटवर्क को कमजोर करना है और संसदीय आश्वासनों के साथ विश्वासघात है।
पिछले हफ्ते, निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अरुणीश चावला ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी बिक्री इसी वित्त वर्ष में पूरी होने की संभावना है क्योंकि पात्र बोलीदाताओं ने जांच-पड़ताल की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है। आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार और एलआईसी की संयुक्त रूप से हिस्सेदारी 95 प्रतिशत है। इसमें से 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी मौजूदा विनिवेश कार्यक्रम के तहत बिक्री के लिए निर्धारित किया गया है।
एआईबीओसी ने भारत सरकार से आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया। इसने कहा कि इसके बजाय, शासन और जवाबदेही को मजबूत करने, सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के माध्यम से पूंजी डालने, डिजिटल आधुनिकीकरण में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
आईडीबीआई बैंक 21 जनवरी, 2019 से एलआईसी की अनुषंगी है। उस समय उसने 82,75,90,885 अतिरिक्त इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण किया था। बैंक द्वारा 19 दिसंबर, 2020 को पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के तहत अतिरिक्त इक्विटी शेयर जारी करने के बाद, एलआईसी की हिस्सेदारी घटकर 49.24 प्रतिशत रह जाने के कारण आईडीबीआई बैंक को एक एसोसिएट कंपनी के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया था।
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देश की एक बड़ी सरकारी बैंक IDBI अब प्राइवेट बैंक में तब्दील हो जाएगी। इस बैंक का निजीकरण का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। इस बैंक में सरकार और एलआईसी की कुल 94 फीसदी हिस्सेदारी है। SEBI की इस बैंक में कुल 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। इस बिक्री से सरकार को 50,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी एलआईसी को बैंक के प्रमोटर के बजाय पब्लिक शेयरहोल्डर के तौर पर रिक्लासीफाई करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बैंक को पूरी तरह से प्राइवेट करने में अभी थोड़ा समय लगेगा। यह निर्णय IDBI बैंक के बिकने के बाद ही संभव होगा।