अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, (फाइल फोटो)
वाशिंगटन: अमेरिका एक ऐसे बिल लाने की तैयारी कर रहा है, जिससे भारत-चीन समेत दुनिया के कई देशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, अमेरिकी सीनेट की प्रस्तावित बिल से कुछ देशों पर 500 प्रतिशत का भारी भरकम टैक्स लगाने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। अमेरिका के मुताबिक, ये टैरिफ उन देशों पर लगाया जाएगा जो अभी भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं और उससे सस्ता कच्चा तेल खरीद रहे हैं। एबीसी न्यूज के साथ बातचीत में रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम ने इस बात की जानकारी दी है।
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राहम ने कहा है कि यदि आप रूस के कोई भी उत्पाद खरीद रहे हैं, और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके द्वारा अमेरिका में आने वाले प्रोडक्ट्स पर 500 फिसदी का भारी भरकम टैरिफ लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि रूसी तेल का 70 प्रतिशत हिस्सा भारत और चीन खरीदते हैं। ऐसा कर वे रूस के वॉर सिस्टम को जिंदा रखते हैं।
बता दें कि अमेरिका का इस प्रस्तावित बिल का मुख्य उद्देश्य दुनिया के देशों पर रूसी तेल की खरीदारी को रोकने और मॉस्को की युद्ध इकोनॉमी को धवस्त करने और रूस को यूक्रेन के साथ शांति समझौता करने के लिए प्रेशर बनाना है। ऐसा माना जा रहा है कि इस विधेयक को अगस्त में पेश किया जा सकता है। अगर ऐसा होता तो इसे रूस का आर्थिक मोर्चे पर धवस्त करने की दिशा में अमेरिका का यह बड़ा कदम हो साबित हो सकता है।
वहीं, अगर ये विधेयक पारित हो जाता है तो इससे भारत और चीन को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका लगने की संभावना बढ़ सकती है, क्योंकि ये दोनों देश छूट वाले रूस कच्चे तेल के सबसे बडे खरीदार हैं। अमेरिका के इस फैसले से भारत के लिए फार्मास्यूटिक्ल, टेक्सटाइल और आईटी सर्विस जैसे निर्यात पर टैरिफ का जोखिम भी बढ़ जाएगा।
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लंबे समय से रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस ने भारत को काफी सस्ता रेट पर कच्चा तेल बेचता रहा। रूसी कच्चे तेल के आयात ने भारत को आर्थिक, रणनीतिक और एनर्जी सिक्योरिटी के लिहाज से कई लाभ पहुंचाए हैं। सस्ते तेल ने इंपोर्ट बिल को कम किया, रिफाइंड उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ाया और वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित करने में काफी मददगार रहा। रूस के तेल की वजह से ही भारत मध्य पूर्व संकट, यूक्रेन वॉर के समय अपने देश के अंदर कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर रख सका।