अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस (सौ. सोशल मीडिया )
अहमदाबाद : भारत के डिफेंस और एयरोस्पेस इंडस्ट्री में अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस एक बहुत बड़ा नाम है। खबर आ रही है कि इस कंपनी ने डेलीऑन स्प्रिंग्स एलएलसी यानी स्पार्टन के साथ एक डील की है।
स्पार्टन एल्बिट सिस्टम्स ग्रुप की कंपनी है और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सिस्टम्स बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली लीडिंग कंपनी है। ये पार्टनरशिप इंडियन और ग्लोबल मार्केट्स के लिए जटिल इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और एडवांस एएसडब्ल्यू सोल्यूशन की असेंबली को भारत में ही करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस पार्टनरशिप के साथ, अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बन गई है जो स्वदेशी सोनोबॉय सोल्यूशन प्रदान करती है। यह कदम देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस पार्टनरशिप में स्पार्टन की एडवांस एंटी-सबमरीन वॉरफेयर यानी एएसडब्ल्यू टेक्नोलॉजी और अडानी डिफेंस की भारतीय नौसेना के लिए विकास, निर्माण और मैंनेटेंस की विशेषज्ञता को मिलाया जाएगा।
सोनोबॉय ऐसी अहम टेक्नोलॉजी है, जो समुद्र के नीचे की जानकारी बढ़ाने में मदद करती है। ये वॉरशिप और अन्य पानी के नीचे छिपे खतरों का पता लगाने, उनकी स्थिति जानने और उन पर नजर रखने के लिए एक प्रभावी साधन हैं। ये एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और अन्य नेवी मिशन में अहम भूमिका निभाते हैं और नौसेना की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ नेवल कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स की रक्षा में भी मदद करते हैं।
कई दशकों से भारत इस महत्वपूर्ण नेवल टेक्नोलॉजी को विदेशी बाजारों से इंपोर्ट करता रहा है, जिससे देश की विदेशी कंपनियों यानी ओईएम पर निर्भरता बढ़ती रही है। अब आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया मुहिम के अंतर्गत, स्पार्टन और भारतीय नौसेना के बीच पहले से चले आ रहे सहयोग से अडानी डिफेंस को इसके लिए सक्षम बनाया गया है कि वह इन समाधानों को पूरी तरह भारत में ही तैयार कर सके, जो भारत में निर्मित, भारत के लिए हो। इससे न केवल विदेशी निर्भरता कम होगी, बल्कि देश में रक्षा तकनीक का विकास और निर्माण भी मजबूती से आगे बढ़ेगा।
अडानी एंटरप्राइजेज के वाइस प्रेसिडेंट जीत अडानी ने कहा है कि तेज़ी से बदलते समुद्री माहौल में भारत की अंडरसी वॉरफेयर कैपेसिटी को मजबूत करना केवल एक स्ट्रेटिजिकली प्रायोरिटी नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक अनिवार्यता है। भारतीय नौसेना को ऐसे एकीकृत और मिशन-रेडी आईएसआर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर यानी एएसडब्ल्यू सिस्टम्स की जरूरत है, जिनमें सोनोबॉय जैसे जरूरी डिवाइस शामिल हों, जो स्वदेश में विकसित हों, तेजी से तैनात किए जा सकें और ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी हों।
स्पार्टन के साथ इस पार्टनरशिप के माध्यम से, अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बन गई है जो स्वदेशी सोनोबॉय का सोल्यूशन प्रदान करती है। यह साझेदारी हमें उन्नत तकनीकों तक पहुंच दिलाने के साथ-साथ एक भविष्य-तैयार और आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली बनाने में मदद करेगी। यह पहल हमारे समूह की उस सोच को दर्शाती है जिसमें हम भारत की सेनाओं को ऐसी विश्वस्तरीय क्षमताएं देना चाहते हैं, जो भारत में डिज़ाइन की गई हों, भारत में विकसित और भारत में ही निर्मित हों, भारत के लिए और विश्व के लिए।”
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष राजवंशी ने कहा है कि कई दशकों से भारत ऐसी महत्वपूर्ण तकनीकों के लिए इंपोर्ट पर निर्भर रहा है। यह साझेदारी, जो विश्वस्तरीय सोनोबॉय तकनीक को भारत में लाने और इसे देश की रक्षा प्रणाली में जोड़ने का कार्य कर रही है, आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताएं विकसित करना न केवल आवश्यक है, बल्कि भारत की रक्षा ताकत को मजबूत करने के लिए भी बेहद अहम है।
डॉनेली बोहान, प्रेसिडेंट और सीईओ, स्पार्टन डेलीऑन स्प्रिंग्स एलएलसी ने कहा है कि समस्याओं के समाधान, एडवांस इंजीनियरिंग और अमेरिका की बेहतरीन समुद्री रक्षा तकनीकों के निर्माण में स्पार्टन की एक लंबी विरासत रही है। हमें अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के साथ साझेदारी कर गर्व हो रहा है, जिसके माध्यम से हम अपनी सिद्ध एंटी-सबमरीन वॉरफेयर यानी एएसडब्ल्यू तकनीकों को भारत में ला रहे हैं। यह साझेदारी हमें न केवल असेंबली को स्थानीय स्तर पर करने का अवसर देगी, बल्कि भारत में उच्च तकनीकी कौशल भी विकसित करेगी और भारतीय नौसेना की ज़रूरतों के अनुसार विश्वसनीय एएसडब्ल्यू समाधान प्रदान करने में मदद करेगी।