हरदीप सिंह पुरी, (केंद्रीय मंत्री)
नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि अंडमान सागर में कच्चे तेल और गैस का एक भंडार दिखा है। शुरुआती खुदाई में जो संकेत मिल रहे हैं उसके आधार पर यह जा सकता है कि भारत को अंडमान सागर में करीब दो लाख करोड़ लीटर कच्चे तेल का भंडार मिल सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर यह संकेत सच साबित होता है तो इससे देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब पांच गुना तक की बढोतरी हो सकती है। यह पेट्रोलियम भंडार हाल ही में गुयाना में मिले (11.6 अरब बैरल) कच्चे तेल के रिजर्व जितना हो सकता है।
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में अंडमान में तेल की खोज एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर इस में कामयाबी मिलती है, तो उर्जा के क्षेत्र में भारत को एक नई पहचान मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि अंडमान सागर में कच्चे तेल के भंडार मिलने के बाद से हमारी उर्जा की जरूरतें आसानी से पूरी जाएंगी। अगर, यह प्रयास सफल होती है, तो भारत तेल की आयात को काफी ज्यादा मात्रा में कटौती कर सकता है और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।
गौरतलब है कि ईरान और इजरायल के बीच लगातार पांच दिनों से जंग जारी है। यह युद्ध विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ भारत के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि युद्ध के कारण भारत पर आर्थिक संकट का खतरा काफी तेजी से बढ़ रहा है। खासकर होर्मुज जलडमरुमध्य को लेकरअनिश्चितताएं बढ़ रही हैं। अगर यह बंद होता है तो भारत के लिए तेल और गैस का आयात महंगा हो जाएगा। बता दें कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने ईरान को 1.24 अरब डॉलर का माल एक्सपोर्ट किया और 44.19 करोड़ डॉलर का आयात किया। वहीं, इजरायल के साथ 2.15 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट और 1.61 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया है।
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ईरान और इजरायल के युद्ध के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य काफी चर्चाओं में है, लोग जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर यह क्या है? तो आपको बाते दें कि यह ओमान और ईरान के बीच स्थित है, जो खाड़ी देशों (कुवैत, सऊदी, इराक, अरब, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ) से समुद्री मार्ग को अरब सागर और उससे आगे तक जोड़ता है। यह जलडमरूमध्य अपने सबसे संकरे बिंदु पर केवल 33 किलोमीटर चौड़ा है। यहां हर रोज लगभग दो करोड़ बैरल तेल और तेल उत्पाद जहाजों पर लोड किए जाते हैं।