
उपेंद्र कुशवाहा, (आरएलएम प्रमुख)
RLM Political Turmoil: बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को लेकर हलचल तेज हो गई है। पार्टी में टूट की खबरों के बीच RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। सासाराम में पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि पार्टी पूरी तरह एकजुट है और विधायकों को लेकर सवाल खड़े करना गलत है। उन्होंने पार्टी में किसी भी तरह की खटपट या असंतोष की बात को सिरे से खारिज किया, हालांकि सवालों से बचते हुए नजर आए।
दरअसल, RLM के तीन विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक कुमार सिंह बुधवार को पटना में उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर आयोजित लिट्टी-चोखा भोज में शामिल नहीं हुए थे। जबकि तीनों विधायक उस समय पटना में ही मौजूद थे। उनकी गैरमौजूदगी से सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गईं।
मामला तब और चर्चा में आया जब ये तीनों विधायक भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात करते दिखे। इस मुलाकात के बाद नए राजनीतिक समीकरणों की चर्चाएं तेज हो गईं। हालांकि, भाजपा ने इस मुलाकात को औपचारिक बताया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरएलएम के तीनों विधायक आपस में एकजुट हैं और आगे कोई भी फैसला मिलकर लेने के मूड में हैं।
बीते दिनों विधायक रामेश्वर महतो की नाराजगी भी सामने आई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर नेतृत्व की नीयत और नीति को लेकर परोक्ष रूप से सवाल उठाए थे। बताया जा रहा है कि वे मंत्री बनाए जाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाए जाने के बाद वे असहज महसूस कर रहे हैं। इसी को लेकर पार्टी के अंदर असंतोष की खबरें भी सामने आई थीं। फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में किसी भी तरह की टूट से इनकार कर रहे हैं, लेकिन विधायकों की गतिविधियों ने RLM की राजनीति को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
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पिछले दिनों आरएलएम के विधायक रामेश्वर महतो ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने फेसबुक पर लिखा था, राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है। जब पार्टी नेतृत्व की नीयत धुंधली हो जाए और नीतियां जनहित से अधिक स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगें, तब जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रमित नहीं रखा जा सकता। आज का नागरिक जागरूक है, वह हर कदम, हर निर्णय और हर इरादे को बारीकी से परखता है।






