
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)
पटना: केंद्र की मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक के दौरान देश में जातिगत जनगणना कराने का बड़ा फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक अगली जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी। वहीं, जातिगत जनगणना पर विपक्षी दलों के बयान भी आने शुरू हो गए हैं।
केन्द्र सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि पारदर्शी तरीके से आगामी जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल किया जाएगा।
बुधवार को कैबिनेट बैठक में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए जातिगत जनगणना के फैसले पर एक-एक कर विपक्षी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। इस बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का भी बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि यह उनकी 30 साल पुरानी मांग थी।
राष्ट्रीय जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल किए जाने पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि परिसीमन से पहले जनगणना हो जाएगी। यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो हम पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाते थे। जब तक हमें वैज्ञानिक आंकड़े नहीं मिलेंगे, हम पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में नहीं ला पाएंगे। स्वाभाविक रूप से बीजेपी के लोग इसका श्रेय लेंगे। लेकिन मोदी जी ने कई बार इसका खंडन किया था।
#WATCH | On the caste census to be included in the national census, RJD leader Tejashwi Yadav says, “…We hope the census will be done before delimitation exercise…It is a slap on the faces of those who used to blame us for spreading casteism. Until we don’t get scientific… pic.twitter.com/pwYUTM4KB3 — ANI (@ANI) April 30, 2025
तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हमने जातिगत सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर बिहार में आरक्षण को बढ़ाकर 65% किया था, तब भी हमने केंद्र सरकार से मांग की थी कि इस प्रावधान को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन अब तक सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि परिसीमन से पहले जातिगत जनगणना होनी चाहिए और जिस तरह संसद और राज्य विधानसभाओं में दलितों, एससी, एसटी और आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटें हैं, उसी तरह ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए भी आरक्षित सीटें होनी चाहिए।






