
रेप केस में बंद कैदी के परिजन, फोटो- सोशल मीडिया
POCSO Act Prisoner commits Suicide: बिहार की सहरसा जेल में एक विचाराधीन कैदी की मौत ने प्रशासनिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। जेल प्रशासन का दावा है कि बंदी ने भोजन की थाली को तोड़कर उससे अपना गला रेत लिया। हालांकि, परिजनों के आरोपों और सीसीटीवी फुटेज की अस्पष्टता ने इस मामले को एक रहस्यमयी पहेली बना दिया है।
बिहार के सहरसा मंडल कारा में रविवार की शाम उस वक्त चीख-पुकार मच गई, जब 25 वर्षीय विचाराधीन कैदी सुनील साह लहूलुहान अवस्था में पाया गया। जानकारी के अनुसार, सुनील ने खाना खाने वाली स्टील की थाली को दो टुकड़ों में तोड़ा और उसके धारदार किनारे से अपने गले पर प्रहार कर लिया। जेल प्रशासन ने आनन-फानन में उसे सदर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान बिहरा थाना क्षेत्र के बारा लालगंज निवासी सुनील साह के रूप में हुई है, जो पिछले 22 महीनों से सलाखों के पीछे था।
जेल अधीक्षक निरंजन पंडित के अनुसार, प्रारंभिक जांच और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इसे आत्महत्या माना जा रहा है। हालांकि, अधीक्षक ने स्वयं स्वीकार किया है कि सीसीटीवी फुटेज पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। फुटेज में बंदी केवल बेहोश होकर गिरता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन स्वयं का गला काटने की स्पष्ट तस्वीर कैमरे में कैद नहीं हो सकी है। घटनास्थल से खून से लथपथ थाली का आधा टुकड़ा बरामद किया गया है, जिसे फॉरेंसिक टीम ने जांच के लिए कब्जे में ले लिया है।
दूसरी तरफ, सुनील की मां और भाई ने जेल प्रशासन के दावों को सिरे से खारिज करते हुए इसे ‘मर्डर’ करार दिया है। मृतक के भाई पिंटू साह ने बताया कि उनकी मां महज तीन दिन पहले ही सुनील से मिलकर लौटी थीं, तब वह बिल्कुल सामान्य था और उसने किसी तनाव या परेशानी का जिक्र नहीं किया था। परिजनों का आरोप है कि जेल के भीतर सुनील को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था और यह हत्या सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने पड़ोसी पर झूठे रेप केस में फंसाने का भी आरोप लगाया है।
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सदर थानाध्यक्ष सुबोध कुमार और फॉरेंसिक टीम ने शव का गहन निरीक्षण किया है, जिसमें गले पर एक गहरा कटा हुआ निशान मिला है। अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई व्यक्ति महज एक टूटी हुई थाली से स्वयं का गला इतनी गहराई से रेत सकता है कि उसकी तत्काल मृत्यु हो जाए? जिला प्रशासन ने मामले की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक साक्ष्य ही यह तय करेंगे कि यह मामला एक बंदी की हताशा में उठाया गया कदम था या जेल की चारदीवारी के पीछे छिपा कोई गहरा अपराध।






