पप्पू यादव वायरल वीडियो (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections: सोमवार को पटना में महागठबंधन की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के समापन समारोह में जन अधिकार पार्टी के मुखिया और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को एक बार फिर मंच से दूर रखा गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के बड़े नेता मंच पर मौजूद थे, लेकिन पप्पू यादव को मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया।
मंज पर जगह न मिलने के बाद पप्पू यादव ने सड़क पर ही कुर्सी लगाकर बैठने का फैसला किया। वह जनता के बीच एक आम समर्थक की तरह सभा सुनते रहे। कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला और मताधिकार बचाने की अपील की।
कुछ देर बाद एक वीडियो भी सामने आया जिसमें पप्पू यादव स्टेज के पीछे दिखाई दिए। जहां वह सांउंड ऑपरेटिंग सिस्टम के बगल कुर्सी पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक पीते हुए नजर आए। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल भी रहा है।
पटना में वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम के दौरान पूर्णिया सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव इंडिया गठबंधन के मंच पर तो नहीं दिखे, लेकिन स्टेज के पीछे साउंड सिस्टम के पास कोल्ड ड्रिंक पीते दिखे।#PappuYadav #Patna #VoterAdhikarYatrapic.twitter.com/zXAnbnYf1V
— Arpit shukla ✍🏽 (@JournoArpit) September 1, 2025
गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार पप्पू यादव को महागठबंधन के मंच से अलग-थलग रखा गया है। इस पर उनके समर्थक नाराजगी जताते रहे हैं। पप्पू यादव की राजनीतिक सक्रियता और जनता के बीच उनकी मज़बूत पकड़ के बावजूद, उन्हें बार-बार मंच पर जगह न मिलना बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।
‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के पीछे विपक्ष का मकसद बिहार में मतदाताओं के अधिकारों को लेकर कथित अनियमितताओं को उजागर करना है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 17 अगस्त को इस यात्रा की शुरुआत की थी। विपक्षी दलों का कहना है कि विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान लगभग 65 लाख लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए, जिसे वे मतदान के अधिकार पर सीधा हमला और लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिश मानते हैं।
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विपक्ष की शिकायतों के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने चुनाव आयोग को 19 अगस्त तक उन मतदाताओं की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया, जिनके नाम सूची से हटाए गए हैं। इसके अनुपालन में, चुनाव आयोग ने 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी कर दी।