प्रशांत किशोर, फोटो- सोशल मीडिया
Prashant Kishor lost his Temper: बिहार के नेताओं के बीच जबानी जंग तेज हो गई है। एक के बाद एक लगातार रैलियां कर थके हारे नेताजी की कहीं जबान फिसल जा रही है तो कहीं वो आपा खो दे रहे हैं। इसी फेहरिस्त में जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर भी शामिल हो गए हैं।
हाल ही में किशनगंज में आयोजित बदलाव सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने एक सवाल के जवाब में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा की तुलना सड़क पर चलने वाले कुत्ते से कर डाली।
दरअसल, मनीष वर्मा ने प्रशांत किशोर पर शराब माफियाओं से सांठगांठ का आरोप लगाया था। जब एक पत्रकार ने इस मुद्दे पर सवाल पूछा तो प्रशांत किशोर का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कहा, “सड़क पर चलने वाले कुत्ते भौंकते हैं, क्या आप हर कुत्ते के भौंकने पर रुकते हैं? उसी तरह मैं भी उसका जवाब नहीं देता।” पीके के इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। कई राजनीतिक विश्लेषकों और नेताओं ने इसे मर्यादा की सीमा लांघने वाला बयान करार दिया है।
यही नहीं, प्रशांत किशोर ने भाजपा सांसद संजय जायसवाल पर भी तीखी टिप्पणी की। जब उनसे जायसवाल द्वारा भेजे गए लीगल नोटिस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, “संजय जायसवाल जैसे 100 लोग भी आ जाएं तो मैं डरने वाला नहीं हूं। जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की ओर भागता है, ऐसे ही लोग मुझे नोटिस भेज रहे हैं।”
प्रशांत किशोर ने अपने पुराने दावे को दोहराते हुए कहा कि यदि जेडीयू को 25 सीटें मिलती हैं तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे वहां भाजपा को 100 सीटें नहीं मिलीं, वैसे ही बिहार में जेडीयू को भी 25 सीटें नहीं आएंगी।
प्रशांत किशोर ने किशनगंज की सभा में मुस्लिम समुदाय को विशेष रूप से संबोधित किया। उन्होंने खुद टोपी पहनकर भाषण दिया और उनके कार्यकर्ताओं ने भी वहां मौजूद लोगों को टोपी बांटी। मंच से उन्होंने पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम धर्म का हवाला देकर लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की।
ले लोटा #लिब्रांडुओं तुम्हारे #परेशान_किशोर तो सचमुच के #लिब्रांडुओं के प्रणेता निकले
*प्रशांत किशोर ने जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा को रोड पे चलते हुए कुत्ते से की तुलना*। pic.twitter.com/kNKTYcKzCL— BJP Patna Gramin (@bjppatnagrmin) September 7, 2025
सभा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, लेकिन व्यवस्था बिगड़ गई। नाश्ते और 500 रुपये देने की बात कहकर लोगों को बुलाने का आरोप भी सामने आया। कई लोगों ने शिकायत की कि उन्हें सिर्फ नाश्ता मिला जबकि उनसे कहा गया था कि खाने के साथ पैसे भी दिए जाएंगे। कुछ लोग पूर्णिया और अररिया से लंबी दूरी तय कर सभा में पहुंचे थे और फिर धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई।
प्रशांत किशोर के इस बयान पर अब तक JDU या मनीष वर्मा की ओर से औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि इस बयान को लेकर राजनीतिक बवाल मच सकता है। प्रशांत किशोर के शब्दों की तीव्रता और शब्द चयन पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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प्रशांत किशोर के इस तीखे बयान ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है। जहां एक ओर वे खुद को विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी भाषा और रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि यह बयान उनके राजनीतिक सफर को किस दिशा में ले जाता है।