गठबंधन नेताओं के साथ नीतीश कुमार (सौजन्य- सोशल मीडिया)
बिहार: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कौन नहीं जानता है। जैसे ही लगता है सुशासन बाबू का अब खेल खत्म हो गया वैसे हीं उनका अगला दांव सबको हैरान कर देता है। कभी किंग तो कभी किंग मेकर के रुप में दिखने वाले नीतीश कुमार की पावर की चाहत कभी कम नहीं हुई। इस लोकसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ने अपनी चुपी से सबको हिला कर रख दिया। हालांकि बाद में जेडीयू नेता ने एनडीए को समर्थन देकर मामला शांत कर दिया।
इंडिया गठबंधन का पहली नीव रखने वाले नीतीश कुमार जब खुद इस गठबंधन से बाहर हो गएं तो पूरा भारत नीतीश कुमार के इस पावर को समझ गया। बिहार में पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर सत्ता संभाल रहे सुशासन बाबू ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 28 जनवरी को एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि चुनाव के नतीजे के बाद यह जोर-शोर से कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार इस बार फिर इंडिया गठबंधन के मजबूरी का फायदा उठा सकते हैं। चर्चा यह भी होने लगी की इंडिया गठबंधन की ओर से डिप्टी प्रधानमंत्री पद का उन्हें ऑफर दिया गया। हालांकि इन सारे अफवाहों पर विराम लगाते हुए नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया कि वो अभी भी एनडीए के साथ शामिल है। लेकिन इससे पहले नीतीश कुमार ने सत्ता की चाहत में कई बार पलटी मारी है। जिसकी वजह से सियासी गलियारों में सुशासन बाबू के साथ उन्हें पलटू चाचा भी कहा जाता है।
बता दें कि 1974 में छात्र आंदोलन के साथ राजनीतिक जीवन का सफर शुरु करने वाले नेता नीतीश कुमार ने 1994 में जार्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। जिसके बाद वे 1995 में लेफ्ट पार्टी के साथ गठबंधन में आकर चुनाव लड़ें। हालांकि नतीजा पक्ष में नहीं आने पर उन्होंने पलटी मारते हुए 1996 में एनडीए गठबंधन का दामन थाम लिया। इस गठबंधन के साथ उन्होंने काफी लंबी दूरी तय की और 2013 तक बिहार में सरकार बनाते रहें।
जिसके बाद 2014 में जोरदार पलटी मारते हुए एनडीए को चुनौती डे डाली। उन्होंने 17 सालों तक एनडीए में काम करने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव में खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इस चुनाव में अकेली लड़ाई लडी और सफलता ना मिलने पर कांग्रेस का दामन थाम लिया। जिसके बाद 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने बीजेपी का बिहार से सफाया कर दिया। हालांकि दो साल सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार ने फिर पलटी मारी को आरजेडी-कांग्रेस से अलग हो गए। जिसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से पुराना रिश्ता जोड़ते हुए बिहार के मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया। साथ ही बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
साल 2017 से लेकर 2022 के शुरुआती महीने तक बीजेपी और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने मिलकर बिहार में शासन किया। जिसके बाद नीतीश एक बार फिर नीतीश कुमार ने बीजेपी से पलड़ा झारते हुए आरजेडी का दामन थामा। डेढ़ साल तक सत्ता संभालने के बाद उन्होंने 28 जनवरी 2024 बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई और शपथ ग्रहण किया। आपको बता दें कि नीतीश कुमार अबतक 9 बार शपथ ग्रहण कर चुके हैं। वहीं देश भर में राज करने वाली बीजेपी बिहार में अबतक एक बार भी मुख्यमंत्री पद नहीं ले सकी है।