तेजस्वी यादव, कृष्णा अल्लावारु, प्रियंका गांधी (फोटो-नवभारत डिजाइन)
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव मुहाने पर दस्तक दे रहा है, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर न तो NDA में सहमति बन पाई है और न ही महागठंधन में सहमति बनी है। मंगलवार को बिहार चुनाव को लेकर दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की एक बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर 70 से कम सीटों पर नहीं मानेगी। पार्टी दावा किया कि राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से पूरे बिहार में माहौल बदल गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भर गया है।
महागठबंधन में इस पर मुकेश सहनी जुड़ गए हैं। इसलिए सीट शेयरिंग का फार्मूला सेट नहीं हो पा रहा है। राजद इस बार 130 से 140 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसलिए सीटों बंटवारे का गुणा गणित उलझ गया है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी मोर्चा संभालती है। इससे पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सेट किया था।
कांग्रेस पार्टी बिहार में इस जिद पर अड़ गई है। न तो 70 सीट से कम में राजी हो रही है और न ही तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित कर रही है। राहुल गांधी और पप्पू यादव सीएम फेस को लेकर टाल-मटोल करते रहते हैं। वहीं अब कांग्रेस प्रभारी कृष्ना अल्लावारू से सीएम फेस को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ही मुख्यमंत्री तय करे तो अच्छा है। बिहार में सीएम तेजस्वी को सीएम फेस न घोषित करना प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में देखा जा रहा है, जिसको सीट शेयरिंग में इस्तेमाल किया जाएगा।
वोट अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस की तिकड़ी एक बार फिर बिहार दौरे पर आने वाली है। इस बार उन जिलों को टारगेट किया जाएगा, जिन जिलों में वोट अधिकार यात्रा नहीं गई थी। यह दौरा सितंबर के अंत होगा, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रहेंगी। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह कार्यक्रम कांग्रेस का होगा या महागठबंधन का, लेकिन बिहार नेतृत्व को कार्यक्रम बनाने के निर्देश दे दिए गये हैं। इसी दौरान सीट शेयरिंग पर बातचीत होगी।
ये भी पढें- जुलूस हिंसा के बाद नेताओं में छीड़ी जुबानी जंग, डीके शिवकुमार बोले नफरत फैला रही भाजपा
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन जीत मात्र 19 सीटों पर हुई। 4 सीटों पर तो जमानत तक जब्त हो गई। हालांकि इनमें कुछ सीटें ऐसी भी थी, जहां भाजपा काफी मजबूत थी। उन सीटों पर राजद भी कभी चुनाव नहीं पाई है। ऐसे में कांग्रेस इस बार 70 सीटों के साथ समीकरणों के मुफीद सीट मांग रही है। यही बात राजद को डरा रही है। यदि कांग्रेस की परफॉर्मेंस पिछली बार की तरह रही तो एक बार फिर तेजस्वी का सीएम बनने का सपना सपना ही रह जाएगा।