
बिहारशरीफ विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Biharsharif Assembly Constituency: बिहार की राजनीति में बिहारशरीफ विधानसभा सीट (Biharsharif Assembly Seat) का अपना एक विशिष्ट स्थान है। नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा यह सीट न केवल जिला मुख्यालय है, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह नगर भी है। हालांकि, यह सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में है, जिससे यह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद और अन्य विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है।
बिहारशरीफ नगर प्राचीन काल से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध रहा है।
ओदंतपुरी महाविहार: पाल वंश के शासनकाल में यह क्षेत्र प्रमुख केंद्र था, जहाँ ओदंतपुरी महाविहार स्थित था—जो नालंदा महाविहार के बाद सबसे प्राचीन बौद्ध शिक्षण संस्थान था। 12वीं शताब्दी में इसे तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था।
नामकरण: नगर का नाम ‘विहार’ (मठ) से उत्पन्न हुआ और बाद में 13वीं शताब्दी में सूफी संत शेख मखदूम शर्फुद्दीन अहमद यहिया मनेरी के सम्मान में ‘शरीफ’ जोड़ा गया।
धार्मिक स्थल: बड़ी दरगाह और खानकाह, बाबा मणिराम अखाड़ा, शीतला मंदिर और मालिक इब्राहिम बर्यो का मकबरा यहाँ के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।
राजनीतिक इतिहास: बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और अब तक यहाँ कुल 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
किस दल का रहा है दबदबा?
कांग्रेस 5 बार शुरुआती चार चुनावों में दबदबा रहा।
बीजेपी (जनसंघ सहित) 4 बार वर्तमान में मजबूत पकड़।
जदयू 3 बार नीतीश कुमार के गृह नगर के कारण महत्वपूर्ण।
राजद 1 बार 2000 के दशक में भी मजबूत पकड़ नहीं बना पाई
भाजपा का दबदबा: 2005 से इस सीट से भाजपा के डॉ. सुनील कुमार विधायक रहे हैं, जो इस सीट पर उनकी व्यक्तिगत और पार्टी की मजबूत पकड़ को दर्शाता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने राजद के सुनील कुमार को 81,514 वोटों से जीत दर्ज की थी।
विपक्षी चुनौती: इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने उमैर खान और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने दिनेश कुमार को उम्मीदवार बनाया है। यह मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के साथ-साथ जन सुराज के बीच त्रिकोणीय होने की संभावना है।
समीकरण: राजद इस सीट पर केवल एक बार जीत दर्ज कर पाई है। भाजपा का किला तोड़ने के लिए यादव और मुस्लिम मतदाताओं के अलावा, कांग्रेस और जन सुराज के वोट भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
यह भी पढ़ें:- हरनौत विधानसभा: JDU की लगातार 8 बार जीत का रिकॉर्ड, प्रशांत किशोर और कांग्रेस क्या तोड़ पाएंगे गढ़?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, डॉ. सुनील कुमार के सामने अपनी चौथी जीत हासिल करने और भाजपा के किले को अभेद्य बनाए रखने की चुनौती होगी, जबकि राजद-कांग्रेस गठबंधन और जन सुराज के उम्मीदवार इस शहरी-प्रशासनिक केंद्र में नीतीश कुमार के गृह जिले के इस गढ़ को भेदने की पूरी कोशिश करेंगे।






