जीविका दीदियों के साथ सीएम नीतीश कुमार, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बुधवार के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से बिहार में सियासी संग्राम मच गया है। नीतीश कुमार के महिला वोटर पर तेजस्वी यादव ने सेंघमारी करते हुए कहा कि प्रदेश में अगर 2025 में मेरी सरकार बनी तो जीविका दीदियों को स्थाई कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उनको हर महीने 30 हजार रुपये वेतन दिए जायेंगे। इसके साथ ही जीविका दीदियों ने अभी तक जो भी लोन लिया है उसे माफ भी कर दिया जायेगा। तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि जीविका दीदियों को दो साल तक बिना ब्याज के लोन दिया जाएगा और दूसरे सरकारी काम करने पर 2 हजार प्रतिमाह अलग से दिया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार की ओर से जीविका दीदियों को 5 लाख तक का इंश्योरेंस भी कराया जाएगा। जीविका समूह के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को भी सरकार मानदेय देगी। तेजस्वी यादव के इस घोषणा के बाद से बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है।
तेजस्वी यादव के इस चुनावी वादे के बाद बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया। दरअसल,बिहार में जीविका योजना के तहत अब तक करीब एक करोड़ 40 लाख बहन बेटियां रजिस्टर्ड हैं। ये बहन बेटियां बिहार में 11 लाख स्वयं सहायता समूह को संचालित कर रही हैं। जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं। महिलाओं के नीतीश कुमार का वोटर कहा जाता है। महिलाओं का बिहार में पुरुषों की तुलना में मतदान संख्या भी अधिक रहता है। 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में महिला मतदाता न केवल मतदान में अधिक सक्रिय हैं, बल्कि उनके वोटों का असर चुनाव परिणामों पर भी प्रत्यक्ष रूप से दिखाई दिया।
महिला मतदाता उच्च मतदान प्रतिशत के साथ सक्रिय हुईं, तो इसका एनडीए को इसका लाभ हुआ है। इसी कारण बिहार में महिला मतदाता को राजनीति में निर्णायक मतदाता कहा जाता हैं। विधानसभा इलेक्शन में महिला वोटर्स के ट्रेंड को देखते हुए सभी राजनीतिक दल महिलाओं को अपने पाले में करने के लिए हर संभव दांव आजमा रहे हैं।
सीएम नीतीश कुमार तो पहले ही महिलाओं के लिए कई योजनाएं राज्य में चला रहे हैं। अब तेजस्वी यादव के नए ऐलान राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है। दरअसल, दोनों ही गठबंधन महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाकर और महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लागू करके इस वर्ग को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर ही टकराव बढ़ा है।
नीतीश कुमार के वोट बैंक पर तेजस्वी के सेंघमारी के बाद एनडीए ने पलटवार किया है। हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर पलटवार करते हुए पूछा कि इसके लिए पैसा कहां से आयेंगे? बिहार डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा बिहार की जनता ने जब 15 साल का वक्त दिया था तब आपने ऐसा क्यों नहीं किया? इधर, चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार बनेगी तब न करेंगे? तेजस्वी यादव मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं।
बिहार सरकार विश्व बैंक की सहायता से ‘बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन’ (Bihar Rural Livelihood Mission- BRLM) का संचालन करती है। बिहार में इससे जुड़ी महिलाओं को ‘जीविका’ के नाम से जाना जाता है। नीतीश सरकार ने वर्ष 2006 में बिहार की ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आर्थिक और समाजिक रूप से मजबूत करने के उदेश्य से शुरू किया गया। शुरुआत में यह योजना केवल गांवों के लिए थी, लेकिन बाद में यह कस्बों और शहरों में भी स्वंयसहायता समूह के रूप में बढ़ाई गई। इसके तहत किसी गांव समाज की 10 से 12 महिलाएं आपस में मिलकर एक समूह बनाती हैं और यह समूह छोटे मोटे रोजकार या कारोबार की शुरुआत करती हैं।
तब बिहार सरकार इन महिलाओं के समूह को मान्यता प्रदान करती है और ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन सोसायटी (BRLF) में इसका निबंधन कराया जाता है। निबंधन के बाद इन्हें रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए बेहद मामूली दर पर बिहार सरकार कर्ज उपलब्ध कराती है। सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण स्तर पर गरीबों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना है। बिहार में नीतीश सरकार यह योजना साल 2006 से चला रही है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्वयं-सहायता समूह का गठन कर कौशल-आधारित रोजगार के अवसरों के जरिए लोगों की आजीविका में सुधार करना है। इसके जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष जोर दिया जाता है। यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत संचालित होती है।
बिहार में जीविका योजना में अब तक करीब एक करोड़ 40 लाख बहन बेटियां रजिस्टर्ड हैं। ये बहन बेटियां बिहार में 11 लाख स्वयं सहायता समूह संचालित कर रही हैं। सरकार की ओर से इन्हें अब तक बैंकों से 57794 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज दिया जा चुका है। इससे वे अपने रोजगार को उड़ान देकर 32 लाख महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। सरकार का अनुमान है कि यह संख्या 50 लाख तक पहुंच चुकी है।
सरकार ने चुनाव से ठीक पहले जीविका दीदी योजना के तहत राज्यभर की महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता स्वरोजगार शुरू करने और मौजूदा रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए दी है। इस योजना के तहत यह भी प्रावधान है कि अगर कोई जीविका दीदी अपने उद्यम को सही तरीके से चलाती है, तो उसे दो लाख रुपये तक का बिना गारंटी कर्ज भी दिया जाएगा। यह योजना बिहार में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
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अब तक 1 करोड़ 11 लाख 66 हजार से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया है, जिनमें से 1 करोड़ 7 लाख से ज्यादा आवेदक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। इसके अलावा 1 लाख 40 हजार से अधिक नई महिलाएं भी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने के लिए आगे आई हैं, ताकि वे इस योजना का लाभ उठा सकें। यही कारण है कि बिहार चुनाव में ये ताकतवर हो गई हैं।