
राष्ट्रीय जनता दल, (डिजाइन फोटो/ नवभारत)
Rashtriya Janata Dal: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव द्वारा 5 जुलाई 1997 को स्थापित राष्ट्रीय जनता दल, (RJD) ने 1990 से 2005 तक बिहार पर राज किया।इसे ‘लालू-राबड़ी युग’ के नाम से भी जाना जाता है। पार्टी की मुख्य विचारधारा सामाजिक न्याय रही है, और इसका पारंपरिक वोट बैंक मुस्लिम-यादव माना जाता है। लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राजद देश की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों में से एक है। इस पार्टी की बिहार में तीन बार सरकार बन चुकी है। राजद 2008 में राष्ट्रीय पार्टी बन गई थी, लेकिन 2010 में इसने यह हैसियत गंवा दी।
साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में RJD ने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और कांग्रेस के साथ ‘महागठबंधन’ बनाकर सत्ता में वापसी की। इस चुनाव में RJD 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। हालांकि, यह सरकार 2017 में JDU के NDA में वापस जाने से गिर गई।
वहीं, 2020 के विधानसभा चुनावों में लालू यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव ने पार्टी का नेतृत्व किया। RJD ने 75 सीटें जीतीं और एक बार फिर राज्य की सबसे बड़ी एकल पार्टी बनी, लेकिन ‘महागठबंधन’ बहुमत के आंकड़े से चूक गया। वर्तमान में RJD बिहार में प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका निभा रही है और ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व कर रही है।
1997 में चारा घोटाले में नाम आने के बाद जनता दल के भीतर और बाहर से लालू प्रसाद यादव पर मुख्यमंत्री पद छोड़ने का दबाव बढ़ने लगा। इसी राजनीतिक संकट के बीच, 5 जुलाई 1997 को पप्पू यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, मोहम्मद शहाबुद्दीन, अब्दुल बारी सिद्दीकी, कांति सिंह, मोहम्मद तस्लीमुद्दीन और मोहम्मद अली अशरफ फातमी समेत 17 लोकसभा और 8 राज्यसभा सांसदों ने नई दिल्ली में एकत्र होकर जनता दल से अलग एक नई पार्टी बनाई, जिसका नाम राष्ट्रीय जनता दल रखा गया। लालू प्रसाद यादव को आरजेडी के पहले अध्यक्ष चुना गये। यह पार्टी सेंटर-लेफ्ट विचारधारा पर आधारित है।
25 जुलाई 1997 को लगातार बढ़ते दबाव के बीच लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उसी दिन उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त कर दिया, जिससे पार्टी में नेतृत्व बना रहा और सत्ता पर पकड़ भी बरकरार रही।
मार्च 1998 के आम चुनावों में RJD ने बिहार से 17 लोकसभा सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अन्य राज्यों में इसका प्रभाव सीमित रहा। उसी वर्ष पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाया, जिसे अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। 1999 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 7 सीटें ही जीत सकी।
1999 के चुनाव में RJD ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन लालू यादव समेत 10 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया और कांग्रेस के साथ पोस्ट-पोल गठबंधन बनाकर बहुमत हासिल किया। इसके बाद 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर RJD ने 24 लोकसभा सीटें जीतीं और UPA सरकार का हिस्सा बनी, जिसमें लालू यादव को रेल मंत्री बनाया गया।
फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में RJD को सिर्फ 75 सीटें मिलीं और सत्ता हाथ से निकल गई। उसी साल हुए दोबारा चुनाव में कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकी, और RJD की सीटें घटकर 54 रह गईं। 2009 के आम चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के चलते RJD ने UPA से नाता तोड़ लिया और लोक जनशक्ति पार्टी व समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर “फोर्थ फ्रंट” बनाया। यह गठबंधन अपेक्षित सफलता नहीं दिला सका और RJD सिर्फ चार सीटें जीत पाई, वो भी केवल बिहार में।
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2014 के आम चुनाव में RJD ने फिर से UPA में वापसी की और कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। RJD ने 27 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन जीत सिर्फ चार सीटों पर ही मिली। वहीं 17वीं लोकसभा में 21 सीटों पर लड़कर एक भी सीट नहीं जीत सके थे, जबकि 2019 में 23 सीटों पर लड़कर केवल 4 सीटें जीतने में कामयाब रहे। वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव में कुल 23 सीटों पर लड़ने वाली राजद केवल 4 सीटें जीतने में सफल रही।






