मंकी पॉक्स वायरस फोटो क्रेडिट: REUTERS
जिनेवा: मंकी पॉक्स का वायरस अब मध्य और पूर्वी अफ्रीका से होते हुए आगे निगल चुका है। अफ्रीका के अलावा दूसरे देशों में भी एक न एक व्यक्ति मंकी पॉक्स से संक्रमित पाया जा रहा है। इस वायरस ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली। तेजी से बढ़ता मंकी पॉक्स वायरस कोरोना जैसे पूरे विश्व को अपने कब्जे में ले ले इससे पहले डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता व्यक्त करते हुए ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया।
WHO ने यह घोषणा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में वायरल वायरस के प्रेकोप के बाद की है। 2 साल में यह दूसरी बार है जब एमपॉक्स को वैश्विक इमेरजेंसी घोषित किया गया।
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एमपॉक्स का नया वैरियंट क्लेड 1
दो साल पहले भी WHO ने एमपॉक्स को इमेरजेंसी घोषित किया था। उस समय भी ये वायरस ग्लोबल स्तर पर फैलने लगा था। संगठन के महानिदेशक टेड्रॉस एडोनम गेब्रीयेसुस ने कहा कि एमपॉक्स का नया वैरियंट एमपॉक्स क्लेड 1 महामारी की तरह फैल रहा है। कांगो प्रांत में इसका तेजी से फैलना और कई पड़ोसी देशों में इसके मामलों की जानकारी मिलना बहुत चिंताजनक है।
इससे पहले सीडीसी यानी अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। सेंटर ने कहा था कि मंकी पॉक्स पिछली बार से ज्यादा चिंताजनक है। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि नया वैरिएंट ज्यादा घातक है।
अफ्रीका से बाहर पहला मामला दर्ज
स्वीडन की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि अफ्रीका के बाहर एमपॉक्स वायरस का पहला मामला दर्ज किया गया है। संक्रमित व्यक्ति अफका के उस हिस्से में रहे थे जहां एमपॉक्स क्लेड 1 महामारी की तरह फैल रहा है। वहीं मंकी पॉक्स वायरस जानवरों में फैलता था। फिर जानवरों से इंसानों में, लेकिन अब ये इंसानों से इंसानों में भी फैल रहा है।
अब तक इतने आंकड़े आए सामने
एमपॉक्स यानी मंकी पॉक्स दशकों से अफ्रीकी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में रहा है। इसका पहला मामला 1970 में कांगो में सामने आया था। तब से ही इसका प्रकोप जारी है। कांगो में सबसे ज्यादा खराब स्थिति जनवरी 2023 में रहा। अब तक 27 हजार मामले आए हैं ओर 1100 से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं हैं, जिनमें से ज्यादा बच्चे शामिल हैं।
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