जानें दिल्ली के दर्जी ने कैसे बनाया पाकिस्तान का झंडा, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Pakistan Flag history: भारत की तरह पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज भी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान लिए हुए है। भारत ने जुलाई 1947 में तिरंगे को अपने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया, जबकि पाकिस्तान ने अपनी स्वतंत्रता से तीन दिन पहले, यानी 11 अगस्त 1947 को, अपने राष्ट्रीय ध्वज को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया था। इस झंडे का अर्थ केवल पाकिस्तान की इस्लामी पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक विरासत, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के प्रति उसके समर्पण को भी दर्शाता है।
पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज ऑल-इंडिया मुस्लिम लीग के प्रतीक से प्रेरित है। इसे सैयद अमीरुद्दीन ने तैयार किया था और पाकिस्तान की संविधान सभा ने इसे आधिकारिक तौर पर अपनाया। इसमें गहरा हरा रंग मुख्य रूप से देश की मुस्लिम बहुल आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
अर्धचंद्र और सितारा इस्लाम में प्रसिद्ध प्रतीक हैं। पाकिस्तान में ये सिर्फ धार्मिक चिन्ह नहीं हैं, बल्कि देश की प्रगति, ज्ञान और भविष्य की आशाओं का भी प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान हमेशा विकास और शिक्षा के मार्ग पर अग्रसर रहेगा।
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संविधान सभा से मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय झंडा कथित रूप से दिल्ली के दर्जी अफजल हुसैन ने कराची में तैयार किया। स्वतंत्रता से पहले वह मुस्लिम लीग के झंडे बनाते थे। उनके इस योगदान के कारण उन्हें पाकिस्तान में ‘बाबा ए परचम’ कहा गया। हालांकि अपने समय में वे अज्ञात रहे, बाद में राष्ट्रपति जिया उल हक ने उन्हें ‘प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस’ अवॉर्ड से सम्मानित किया।
स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पाकिस्तान के झंडे में यूनियन जैक शामिल करने की पेशकश की थी। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना ने इसे पूरी तरह नकार दिया और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान का झंडा देश की स्वतंत्र पहचान और इस्लामी विरासत का प्रतीक होगा।